पावापुरी जैन मंदिर का इतिहास – History of pawapuri jain temple

पावापुरी, जिसे अपापुरी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के बिहार के नालंदा जिले में स्थित जैनियों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह शहर उस स्थान के रूप में प्रसिद्ध है जहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने 527 ईसा पूर्व में निर्वाण (मुक्ति) प्राप्त किया था।

पावापुरी का संबंध भगवान महावीर के जीवन के अंतिम क्षणों से है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने निर्वाण के लिए जलस्रोतों से घिरे इस शांत स्थान को चुना। भगवान महावीर को 527 ईसा पूर्व में आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) की पूर्णिमा के दिन मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त हुई थी।

 

पावापुरी में मुख्य मंदिर जलमंदिर है, जिसे अपापुरी मंदिर या दिगंबर जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर कमल से भरे तालाब के बीच में स्थित है, जिसे जलमंदिर टैंक के नाम से जाना जाता है, जो एक शांत और सुरम्य वातावरण बनाता है।

मंदिर चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है और यहां एक संकरे रास्ते से पहुंचा जा सकता है।तीर्थयात्री भगवान महावीर के निर्वाण की स्मृति में प्रार्थना करने और अनुष्ठान करने के लिए मंदिर में आते हैं।

 

भगवान महावीर की निर्वाण जयंती को भक्त बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। तीर्थयात्री अक्सर पावापुरी जैन मंदिर और उसके आसपास आयोजित जुलूसों और धार्मिक समारोहों में भाग लेते हैं।

 

पावापुरी जैनियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है, और यह जैन सर्किट का हिस्सा है जिसमें भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं से जुड़े स्थान शामिल हैं।

 

पावापुरी की पवित्रता बरकरार है, और मंदिर के आसपास मांसाहारी भोजन और कुछ अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध है।

 

पावापुरी जैनियों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है, और तीर्थयात्री भगवान महावीर को श्रद्धांजलि देने और उस स्थान के शांतिपूर्ण माहौल का अनुभव करने के लिए जलमंदिर जाते हैं जहां उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया था। यह स्थल जैन इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता रहता है।

 

पावापुरी जैन मंदिर का इतिहास – History of pawapuri jain temple

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