गरुड़ पुराण तीसरा अध्याय

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गरुड़ पुराण तीसरा अध्याय | Garud Puran Adhyay 3

सूतजी बोले, हे शौनक! गरुड़ पुराण को भगवान विष्णु ने ब्रह्मा और शिव को सुनाया था। ब्रह्मा ने मुनिश्रेष्ठ व्यास को सुनाया था और व्यास जी ने मुझे सुनाया था। में आप लोगो को वही सुना रहा हु।

इस पुराण में भगवान विष्णु की लीलाओं को विस्तार पूर्वक कहा गया है। भगवान विष्णु के सर्ग वर्णन, देवार्चन, तीर्थमहात्म्य, भुवनवृत्तान्त, मन्वंतर, वर्ण धर्म, आश्रम धर्म, दानधर्म, राजधर्म, व्यवहार व्रत, वंशानुचरित, आयुर्वेद, प्रलय, धर्म, काम ,अर्थ, और उत्तम ज्ञान का वर्णन इस पुराण में किया गया है।

श्री गरुड़ जी भगवान विष्णु का वरदान पाकर इस गरुड़ पुराण के उपदेष्ठा रूप में सभी प्रकार से अति सामर्थ्यवान बन गए और भगवान विष्णु के ही वाहन बने, तथा इस संसार की स्थिति और प्रलय के कारण भी हो गए।

गरुड़ जी ने अपनी माता को दानवों से जीतकर मुक्त करवाया था, तथा अमृत भी प्राप्त किया था। संपूर्ण ब्रह्मांड भगवान विष्णु के उदर में विद्यमान है। श्री गरुड़ जी ने उनकी क्षुधा को भी शांत किया था।

16 घोर नरक गरुड़ पुराण के अनुसार – Narak Garud Puran

यह गरुड़ पुराण को गरुड़ जी ने कश्यप ऋषि को सुनाया था। तब कश्यप ऋषि ने इस गरुड़ मंत्र के प्रभाव से जले हुए वृक्ष को भी जीवित कर दिया था। श्री हरिरूप गरुड़ जी के दर्शन मात्र से ही सर्पों का विनाश हो जाता है।

हे शौनक ! में व्यास जी को प्रणाम करके इस अत्यंत पवित्र पुराण को सुनाता हु ,जिसका पवित्र पाठ करने से भी सब कुछ प्राप्त हो जाता है। कृपा करके आप सब इसे ध्यान से सुने।