शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 से हो रही है, जो 11 अक्टूबर तक चलेगी। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा को समर्पित है। मां शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं, इसलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। शैल का अर्थ पर्वत होता है, और मां शैलपुत्री को वृषभ पर आरूढ़ दिखाया गया है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल रहता है।
* मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा:
मां शैलपुत्री, देवी सती का दूसरा अवतार मानी जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी देवताओं को निमंत्रण मिला, लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया। भगवान शिव ने माता सती से कहा कि उन्हें निमंत्रण नहीं मिला है, इसलिए वहां जाना उचित नहीं होगा। लेकिन सती ने आग्रह किया, और भगवान शिव ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी।
जब सती अपने पिता के घर पहुंचीं, तो उन्हें केवल अपनी मां से स्नेह मिला। उनकी बहनों ने भगवान शिव का उपहास किया, और दक्ष ने भी भगवान शिव का अपमान किया। इस अपमान को सहन न कर पाने के कारण, मां सती ने योगाग्नि में प्रवेश करके अपने प्राण त्याग दिए। इस दुखद घटना से व्यथित भगवान शिव ने यज्ञ का विध्वंस कर दिया।
सती ने अगले जन्म में हिमालयराज की पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। बाद में, उनका विवाह भगवान शिव से हुआ और वे उनकी अर्धांगिनी बनीं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा इसी कथा के आधार पर की जाती है।
* मां शैलपुत्री की पूजा और महत्त्व:
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि और शक्ति का आशीर्वाद मिलता है। उन्हें घी का भोग लगाने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और उसके आरोग्य में वृद्धि होती है। मां शैलपुत्री की कृपा से साधक अपने जीवन में स्थिरता और संतुलन प्राप्त करता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
नवरात्रि के पहले दिन क्यों की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा? जानिए पौराणिक कथा और महत्व –
Why is maa shailputri worshipped on the first day of navratri? Know about the mythology and importance