चंद्र ग्रहण के सूतक काल में इस पत्ते का प्रयोग करने से दुष्प्रभाव कम होते हैं। Using this leaf during the sutak period of lunar eclipse reduces the side effects

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चंद्र ग्रहण के सूतक काल में इस पत्ते का प्रयोग करने से दुष्प्रभाव कम होते हैं। Using this leaf during the sutak period of lunar eclipse reduces the side effects

हर साल सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगते हैं। साल में लगभग चार ग्रहण लगते हैं जिनमें से दो सूर्य होते हैं और दो चंद्र ग्रहण। नए साल की शुरुआत हो चुकी है तो आपको बता दें कि 25 मार्च को पहला ग्रहण पड़ रहा है। ये साल का पहला चंद्र ग्रहण होगा। हमेशा ग्रहण लगने से पहले कुछ नियमों का पालन किया जाता है। ऐसा इसलिए ताकि ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचा जा सके। ग्रहण लगने से पहले खाना खा लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ग्रहण लगने से पहले खाने पीने के समान में तुलसी की पत्ती डाली जाती है ताकि ग्रहण के प्रभाव को कम किया जा सके। पर क्या आप जानते हैं कि तुलसी के अलावा भी एक ऐसी पत्ती है, जिसे आप ग्रहण से पहले खाने-पीने में डाल सकते हैं।

* ये है वो पत्ती: 

तुलसी के अलावा हम जिस पत्ती की बात कर रहे हैं उसका उपयोग पूजा में किया जाता है। हम बात कर रहे हैं दूर्वा की जो एक तरह की घास है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम या फिर पूजा पाठ में दुर्वा का उपयोग किया जाता है। ये बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।

* भगवान गणेश को अति प्रिय है दूर्वा:

बहुत ही सामान्य से दिखने वाली ये घास भगवान गणेश को बहुत ही ज्यादा प्रिय है। वैसे तो पूजा पाठ के दौरान कई तरह की सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, लेकिन इन सभी में दुर्वा का अपना एक अलग महत्व है। कहते हैं कि दूर्वा के बिना पूजा पूरी नहीं मानी जाती। खासतौर पर गणेश जी की पूजा के लिए इसका विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ, मां दुर्गा, भगवान शिव, मां सरस्वती और लक्ष्मी माता के साथ कई देवी देवताओं की पूजा अर्चना में दूर्वा उपयोग की जाती है। गणेश पूजन में 21 दूर्वा चढ़ाने से कहा जाता है कि भगवान की कृपा और आशीर्वाद मिलता है।

* चंद्र ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए: 

– 25 मार्च को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण के दौरान खाने-पीने की मनाही होती है।

– कहते हैं कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मकता और अशुद्धता हो जाती है। यही वजह है कि खासतौर पर ग्रहण में जब सूतक काल चल रहा हो तब मंदिर या धार्मिक स्थान में प्रवेश नहीं करना चाहिए।

– ग्रहण के दौरान भोजन करने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा बाल और नाखून भी नहीं काटने चाहिए।

– ग्रहण के दौरान स्नान करने से भी बचना चाहिए। या तो ग्रहण से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए या फिर ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें।

– गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए इसके अलावा नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।

* ग्रहण के दौरान दूर्वा क्यों इस्तेमाल करना चाहिए: 

– ग्रहण काल में दूर्वा के उपयोग को शुभ माना गया है। इससे ग्रहण के अशुभ और नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाते हैं।

– ग्रहण लगने से पहले दूर्वा को खाद्य सामग्री जैसे खाना, पानी, दूध और मंदिर में रखी प्रतिमा को सुरक्षित रखने के लिए रखा जाता है।

– ग्रहण के बाद दूर्वा के बिना किसी भी तरह के भोजन को दूषित माना जाता है और इसका असर सेहत पर नकारात्मक पड़ सकता है।

– पौराणिक कथाओं में दूर्वा को शुभ और बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

चंद्र ग्रहण के सूतक काल में इस पत्ते का प्रयोग करने से दुष्प्रभाव कम होते हैं।

Using this leaf during the sutak period of lunar eclipse reduces the side effects