तू प्रभ दाता दान मत पूरा – Tu prabh daata daan mat poora

You are currently viewing तू प्रभ दाता दान मत पूरा – Tu prabh daata daan mat poora
तू प्रभ दाता दान मत पूरा - Tu prabh daata daan mat poora

सतनाम श्री वाहेगुरु..
तू प्रभ दाता दान मत पूरा

हम थारे भेखारी जीओ

 

हे प्रभु! तू दाता एवं दानशील है और बुद्धि से परिपूर्ण है, लेकिन हम तो तेरे भिखारी ही हैं।

मैं क्या माँगऊ किछ थिर न रहाई
हर दीजै नाम प्यारी जीओ

 

मैं तुझ से क्या माँगूं? क्योंकि कुछ भी स्थिर रहने वाला नहीं है अर्थात् प्रत्येक पदार्थ नश्वर है। इसलिए मुझे तो केवल अपना प्यारा हरि-नाम ही दीजिए।

घट घट रव रहया बनवारी

प्रभु तो प्रत्येक हृदय में विद्यमान है।

जल थल महीअल गुपतो वरतै
गुर शबदी देख निहारी जीओ

 

वह समुद्र, धरती एवं गगन में गुप्त रूप से व्यापक है और गुरु के शब्द द्वारा उसके दर्शन करके कृतार्थ हुआ जा सकता है।

मरत पैयाल आकाश दिखायो
गुर सतगुर किरपा धारी जीओ

 

गुरु-सतगुरु ने कृपा करके मृत्युलोक, पाताल लोक एवं आकाश में उसके दर्शन करवा दिए हैं।

सो ब्रह्म अजोनी, है भी होनी
घट भीतर देख मुरारी जीओ

वह अयोनि ब्रह्म वर्तमान में भी है और भविष्य में भी विद्यमान रहेगा। इसलिए अपने हृदय में ही मुरारि प्रभु के दर्शन करो ॥

जनम मरन कौ एहो जग बपुड़ौ
इन दूजै भगत विसारी जीओ

 

बेचारी यह दुनिया तो जन्म मरण के चक्र में ही पड़ी हुई है, चूंकि इसने द्वैतभाव में फंसकर प्रभु-भक्ति को ही भुला दिया है।

सतगुर मिलै ता गुरमत पाइअै
साकत बाजी हारी जीओ

 

जब सतगुरु मिल जाता है तो ही ज्ञान प्राप्त होता है, किन्तु शाक्त मनुष्य ने भक्ति के बिना अपनी जीवन की बाजी हार दी है।

सतगुर बंधन तोड़ निरारे
बहुड़ न गर्भ मझारी जीओ

 

सतिगुरु ने मेरे बन्धन तोड़कर मुझे मुक्त कर दिया है और अब मैं गर्भ-योनि में नहीं आऊँगा।

नानक ज्ञान रत्न परगासिया
हरि मन वसिया निरंकारी जीओ

 

हे नानक ! अब मेरे हदय में ज्ञान-रत्न का प्रकाश हो गया है और निराकार प्रभु ने मेरे मन में निवास कर लिया है।

 

तू प्रभ दाता दान मत पूरा – Tu prabh daata daan mat poora