सनातन पंचांग के हर माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत का दिन होता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के लिए रखे जाने वाले प्रदोष व्रत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने पर भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। प्रदोष व्रत से पौराणिक कथा जुड़ी हुई है और व्रत के दिन उस कथा को पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं जातक का इस कथा को पढ़ना भोलेनाथ को प्रसन्न कर देता है।
* प्रदोष व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक निर्धन पुजारी था। पुजारी की मौत हो जाने के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने बेटे के साथ भीख मांग कर गुजारा करती थी। एक दिन विधवा स्त्री की मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई। राजकुमार अपने पिता की मृत्यु के बाद निराश्रित होकर भटक रहा था।
पुजारी की पत्नी को उसपर दया आई और वह उसे अपने साथ ले गई और पुत्र की तरह रखने लगी। एक बार पुजारी की पत्नी दोनों पुत्रों के साथ ऋषि शांडिल्य के आश्रम में गई। वहां उसने प्रदोष व्रत की विधि और कथा सुनी और घर आकर उसने व्रत रखना शुरू कर दिया।
बाद में किसी दिन दो बालक वन में घूम रहे थे। पुजारी का बेटा घर लौट आया लेकिन राजा का बेटा वन में गंधर्व कन्या से मिला और उसके साथ समय गुजारने लगा। कन्या का नाम अंशुमति था। दूसरे दिन भी राजकुमार उसी स्थान पर पहुंचा। वहां अंशुमति के माता-पिता ने उसे पहचान लिया और उससे अपनी पुत्री का विवाह करने की इच्छा प्रकट की। राजकुमार की स्वीकृति से दोनों का विवाह हो गया। आगे चलकर राजकुमार ने गंधर्वों की विशाल सेना के सथ विदर्भ पर आक्रमण कर दिया। युद्ध जीतने के बाद राजकुमार विदर्भ का राजा बन गया। उसने पुजारी की पत्नी और उसके बेटे को भी राजमहल में बुला लिया। अंशुमति के पूछने पर राजकुमार ने उसे प्रदोष व्रत के बारे में बताया। इसके बाद अंशुमति भी नियमित रूप से प्रदोष का व्रत रखने लगी। इस व्रत से लोगों के जीवन में सुखद बदलाव आए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की कृपा और पूजा का पूरा लाभ पाने के लिए इस पौराणिक कथा को जरूर पढ़ें।
To get the full benefits of lord Shiva blessings and worship during pradosh vrat, definitely read this mythological story