यूसुफ की कहानी, जो बाइबिल की उत्पत्ति की पुस्तक (उत्पत्ति 37, 39-50) में वर्णित है, विश्वास, दृढ़ता और ईश्वर की कृपा का प्रतीक है। गुलामी में बेचे जाने से लेकर मिस्र में शक्तिशाली शासक बनने तक की उनकी यात्रा, विपत्ति को आशीर्वाद में बदलने की ईश्वर की असीम शक्ति को दर्शाती है।

यूसुफ, याकूब का ग्यारहवाँ पुत्र और राहेल का जेठा था। याकूब ने यूसुफ को विशेष रूप से प्रेम किया, जिससे उसके भाइयों में ईर्ष्या उत्पन्न हुई। यूसुफ को भविष्यसूचक सपने आते थे, जिनमें उसने अपने भाइयों को अपने सामने झुकते हुए देखा। इन सपनों ने उसकी भाइयों की नाराज़गी और बढ़ा दी।

एक दिन, यूसुफ के भाइयों ने उसे गुलामी में बेचने की साजिश रची और उसे इश्माएली व्यापारियों को चांदी के बीस टुकड़ों में बेच दिया। वे अपने पिता याकूब को यह विश्वास दिला कर धोखा दे बैठे कि यूसुफ को एक जंगली जानवर ने मार डाला है।

मिस्र पहुँचने पर, यूसुफ को पोतीफर नामक एक अधिकारी को बेचा गया। यूसुफ, ईश्वर के प्रति सच्चे बने रहे और ईश्वरीय कृपा के कारण समृद्ध हुए। पोतीफर ने यूसुफ की क्षमताओं को पहचानकर उसे अपने घर का प्रबंधक बना दिया। हालाँकि, जब पोतीफर की पत्नी ने यूसुफ पर झूठा आरोप लगाया, तो उसे जेल में डाल दिया गया।

जेल में रहते हुए भी ईश्वर यूसुफ के साथ थे। उन्होंने वहाँ कैदियों के सपनों की सटीक व्याख्या की। बाद में, जब फिरौन ने एक जटिल सपना देखा, तो यूसुफ ने उस सपने का अर्थ बताया कि मिस्र में सात साल की भरपूर फसल और सात साल का अकाल आने वाला था। यूसुफ की बुद्धिमानी से प्रभावित होकर, फिरौन ने उसे मिस्र का दूसरा सबसे शक्तिशाली शासक नियुक्त किया।

जब अकाल पड़ा, तो यूसुफ के भाइयों ने मिस्र से अनाज खरीदने की मांग की, लेकिन उन्होंने उसे पहचान नहीं पाया। कई परीक्षाओं के बाद, यूसुफ ने अपनी पहचान प्रकट की और अपने भाइयों को माफ कर दिया। उन्होंने कहा, “तुमने मुझे नुकसान पहुँचाने की योजना बनाई थी, लेकिन परमेश्वर ने इसे भलाई के लिए बनाया, ताकि बहुत से लोगों की जान बचाई जा सके (उत्पत्ति 50:20)।

यूसुफ की कहानी हमें सिखाती है कि ईश्वर का मार्गदर्शन और कृपा कठिनाइयों को भी आशीर्वाद में बदल सकते हैं। यह माफ़ी और विश्वास की शक्ति का अद्भुत उदाहरण है, जो हमें यह याद दिलाती है कि ईश्वर की योजनाएँ हमारे जीवन के संघर्षों से कहीं बड़ी होती हैं।

 

परमेश्वर द्वारा दास जोसेफ का सम्मान करने की कहानी –

The story of god honoring the servant joseph

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