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किआ तु रता देखि कै ॥ Kia tu rata dekhi kai

किआ तु रता देखि कै ॥ Kia tu rata dekhi kai

किआ तू रता देखि कै पुत्र कलत्र सीगार रस भोगहि खुसीआ करहि माणहि रंग अपार बहुतु करहि फुरमाइसी वरतहि होइ अफार करता चिति न आवई मनमुख अंध गवार मेरे मन…

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