ब्रह्मा के बेटे दक्ष की सती नाम की बेटी थी जो शिवजी से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी। दक्ष अपने आप को शिव से बड़ा मानते थे, इसीलिए उन्होंने सती की बात नहीं मानी। शिव और सती ने दक्ष की इच्छा के बिना ही विवाह कर लिया।
एक दिन एक समारोह ने शिव ने दक्ष के सामने खड़े होकर उन्हें प्रणाम नहीं किया। दक्ष ने बहुत अपमान महसूस किया। उन्होंने बदला लेने की ठान ली। दक्ष ने एक यज्ञ कराया और उसने शिव को छोड़कर सारे देवताओं को आमंत्रित किया।
सती को बहुत बुरा लगा। वह अपने पिता से मिलने पहुंच गई। दक्ष ने सबके सामने शिव का अपमान किया। सती यह नहीं सह पाई और उसने यज्ञ की आहुति में कूदकर अपनी जान दे दी।
क्रोधित होकर शिव ने समूचे ब्रह्मांड को नष्ट करने के लिए विनाशकारी नृत्य तांडव शुरू कर दिया। ब्रह्मा ने प्रकट होकर शिव से क्षमा मांगी। शिव मान तो गए लेकिन उन्होंने दक्ष को शाप दे दिया कि उनका सिर हमेशा बकरी का रहेगा। बाद में सती ने पार्वती के रूप में फिर से जन्म लिया।