आरव नाम का एक लड़का था । उसके पिता की लोहे की दुकान थी । आरव अपने पिता के साथ लोहे की दुकान में मदद करता था । एक दिन उसने अपने पिता से पूछा की पिताजी इस दुनिया में मनुष्य की कीमत क्या होती है ?
अपने छोटे से बच्चे के इस सवाल से पिताजी हैरान रह गए । वो सोचने लगे की आखिर इस बालक को ऐसा सवाल क्यों हुआ । पिताजीने अपने बेटे को कहा की बेटा किसी भी मनुष्य की कीमत को आंकना बहुत ही मुश्किल होता है क्योकि उसकी कीमत अनमोल होती है ।
बेटे ने पूछा वह कैसे पिताजी ? अगर सभी मनुष्य की कीमत अनमोल होती है तो फिर कोई अमीर तो फिर कोई गरीब क्यों होता है ? किसी को कम Respect मिलती है , तो किसी को ज्यादा क्यों मिलती है ?
पिताजी ने अपने बेटे को समझाने के लिए कहा की तुम Store Room में जो लोहे का बड़ा सा टुकड़ा पड़ा है वो लेकर आओ । बेटे ने कहा जी पिताजी । वो लोहे का टुकड़ा लेकर आता है । पिताजी उससे पूछते है की बताओ इस लोहे के टुकड़े की क्या कीमत होगी ? आरव बताता है की 500 रूपये ।
पिताजी अब उससे पूछते है की अगर में इस टुकड़े के छोटे छोटे कील बना दू तो फिर उसकी क्या कीमत होगी ? वो थोड़ा सोच कर बताता है की पिताजी ऐसा करने से उसकी कीमत बढ़ जाएगी । तब तो ये और भी महंगा बिकेगा लगभग 1500 रुपयों में ।
पिताजी अब उसे पूछते है की बेटा अगर में इस लोहे के टुकडे से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो ? आरव कहता है की पापा फिर तो इससे और भी ज्यादा पैसे मिलेंगे ।
पिताजी अपने बेटे को समजाते हुए बोलते है की ठीक इस लोहे के टुकडे की तरह ही मनुष्य की कीमत होती है । मनुष्य की कीमत भी इसमे नही होती है की अभी वो क्या है, बल्की इसमे होती है कि वो अपने आप को क्या बना सकता है। आरव अब समज चूका था की उसके पिता क्या कहना चाहते है ।
हम भी अपनी कीमत आंकने में कई बार गलती कर देते है । हम अपने Present Status को देखकर अपने आप को Valueless और Meaningless मानने लगते है । हम ये नहीं सोचते है की हम अपने आप को क्या बना सकते है और हम अभी क्या है उससे अपने आप की कीमत आंक लेते है । हमें हमेशा अपने आप को Improve करते रहना चाहिये और अपनी सही कीमत प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिये ।