श्री साईं जी की प्रार्थना|

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साईं कृपा से व्रत कथा लिखवाई, भक्तों के हाथों में पहुंची|
साईं गुरुवार व्रत करे जो कोई, उसका कल्याण तो हरदम होई|

घर बार सुख शांति होवे, साईं ध्यान करे जो सोवे|
भोग लगावे निसदिन बाबा को जोई उसके घर में कमी न होई|

बाबा की प्रार्थना करिए, साईं मेरे दुःख को हरिए|
शिरडी में बाबा की मूर्ति है प्यारी, भक्तों को लगे है न्यारी|

मेरे साईं मेरे बाबा, मेरा मन्दिर मेरा काबा|
राम भी तुम शाम भी तुम हो, शिवजी का अवतार भी तुम हो|

हनुमान तुम ही हो साईं, तुम्ही ने थी लंका जलाई|
कलियुग में तुम आए थे साईं, भक्तों का कल्याण हो जाई|

भक्तिभाव से पड़े कथा जो, उसकी इच्छा पूरी हो जाती|
बाबा मेरे आओ साईं हमको दर्शन दिखलाओ साईं|

तुम बिन दिल नहीं लगता, आंसू का दरिया है निकलता|
जब-जब देखें तेरी मूरत, तब-तब भीग जाए मेरी मूरत|

अंधन को आंखे देते, दीन दुखी के दुख हर लेते|
तुम सा नहीं है कोई सहाई, जपते रहें हम साईं साईं|

नाम तुम्हारा मंगलकारी, भवसागर से भक्तों को तारी|
बाबा मेरे अवगुण माफ कर देना, भक्ति मेरी को ही लेना|

बाबा हम पर दया करना, अपने चरणों में ही रखना|
चरणों में तुम्हारे शीतल छाया, बचे रहेंगे नहीं पड़ेगी मंद छाया|

हमारी बुद्धि निर्मल करना, जग की भलाई हमसे करना|
हमको साधन बना लो बाबा, दया कृपा क्षमा दो बाबा|

अज्ञानी हम बालक मंदबुद्धि, तेरी दया से हो मन की शुद्धि|
पाप ना कोई हमसे होने पाए, दुःख कोई जीव ना पाए|
हरपल भला हम करते आए, गुणगान हरपल तेरे गांए|

||दोहा||
साईं हम पर कृपा करो, बालक हैं अनजान|
मंदबुद्धि हम जीव हैं, हमको लो आन संभाल||१||

व्रत आपका कर रहे, दो आशीष यह आन|
विध्न पड़े न इसमें कोई, कृपा करो दीनदयाल||२||