शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस शिव स्तोत्र का पाठ करें। Recite this shiva stotra while offering water to shivalinga

सोमवार के दिन अधिकांश लोग देवों के देव महादेव का पूजा करते हैं। ये दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। ये व्रत कितना महिमामयी है इसकी जानकारी शिव पुराण में भी दर्ज है। ये भी मान्यता है कि जगत जननी माता पार्वती ने जब भगवान शिव को पति रूप में चाहा था, तब उन्हें शिव जी को पाने के लिए सोमवार का ही उपवास किया था। स्त्रियों का सौभाग्य अखंड रखने वाले, कुंवारियों को वर देने वाले भगवान शिव दुख और दरिद्रता को भी दूर करते हैं

जो लोग सोमवार का व्रत करते हैं, अगर वो लोग प्रति सोमवार पूरे विधि-विधान का पालन करते हुए भगवान शिव की आराधना करें। साथ ही जल चढ़ाते हुए इस स्तोत्र का पाठ करें तो सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

* ये है दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र: 

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।

गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।

ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।

मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।

आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।

शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।

मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्‌र्यनाशनम् ।

सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥

* शिव तांडल स्तोत्र के फायदे: 

जो शिव भक्त नियमित रूप से शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करते हैं और भगवान की पूजा करते हैं, उनसे भगवान शिव खूब प्रसन्न होते हैं। ऐसे लोगों को कभी धनसंपत्ति की कमी नहीं होती।

जो लोग इस स्तोत्र का नियमित रूप से और सही तरीके से पाठ करते हैं उनकी पर्सनेलिटी में भी निखार आता है।

इस पाठ को करने का असर चेहरे पर के तेज में भी दिखता है। चेहरा पहले से ज्यादा तेजमय हो जाता है।

इस पाठ को करने वाले की सभी मनोकामना को भगवान शिव पूरा करते हैं।

इस पाठ के नियमित पाठ से वाणी को भी बल मिलता है और वाणी की सिद्धि भी मिलती है।

भगवान शिव नृत्य कला, चित्रकला, योग, ध्यान और लेखन में भी प्रवीण माने जाते हैं। उन्हें पूजने वाले को भी ये अपने मन के कार्य में दक्ष होने का मौका मिलता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस शिव स्तोत्र का पाठ करें।

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