राज जोग तखत दीअन गुर रामदास ॥
प्रथमे नानक चंद जगत भयो आनंद तारन मनुख्य जन कीऔ प्रगास ॥
गुर अंगद दीऔ निधान अकथ कथा ज्ञान पंच भूत बस कीने जमत न त्रास ॥
गुर अमर गुरू स्री सत कलिजुग राखी पत अघन देखत गत चरन कवल जास ॥
सभ बिध मान्यिऔ मन तब ही भयो प्रसन्न राज जोग तखत दीअन गुर रामदास ॥४॥
राज जोग तख्त दियां – Raj jog takht diyan