प्रत्येक माह की एकादशी तिथि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है। मान्यता है कि इस तिथि को व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान विष्णु सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। ज्येष्ठ माह में के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। निर्जला एकादशी को एकादशी व्रतों में विशेष माना जाता है।
* 18 जून को निर्जला एकादशी:
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि जून माह के 17 तारीख को प्रात: 4 बजकर 43 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन 18 जून को सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि की वजह से 18 जून मंगलवार को निर्जला एकादशी मनाया जाएगा।
* निर्जला एकादशी को ऐसे करें पूजा:
व्रत के दिन प्रात: काल उठकर भगवान विष्णु का स्मरण कर निर्जला एकादशी के व्रत संकल्प करें। स्नान के बाद भगवान विष्णु को प्रिय रंग यानी पीले रंग के कपड़े पहने। मंदिर व पूजा घर की अच्छे से सफाई करें पूजा की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें। भगवान विष्णु के उनके प्रिय पीले रंग के फूल चढ़ाएं। इसके बाद फल, हल्दी, चंदन, अक्षत चढ़ाएं और खीर को भोग लगाएं। विष्णु चालीसा का पाठ करें। व्रत करने वालों को भोजन और वस्त्र का दान करना चाहिए।
* निर्जला एकादशी की व्रत कथा:
पांडव भाइयों में भीम विशेष रूप से भोजन प्रेमी थे। एक बार उन्होंने वेद व्यास से कहा कि उनके सभी भाई और माता एकादशी का व्रत रखते हैं लेकिन उनके लिए माह में दो दिन व्रत रखना बहुत कठिन है। उन्होंने पूछा कि कोई एक व्रत नहीं है जिसे साल में एक बार रखने से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए। व्यास जी ने बताया कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बगैर जल ग्रहण किए एकादशी का व्रत रखने और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान देने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके बाद भीम निर्जला एकादशी का व्रत करने लगे। इसीलिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी या पांडव एकादशी भी कहा जाता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
आज रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत, जानिए पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में –
Nirjala ekadashi fast will be observed today, know about the worship method and fast story