नन्द घर बजत बधईयाँ यशोदा घर सोहर हो
ललना जन्में हैं कृष्ण कन्हैया तीनों ही कुल
तारन हो ये ललना जन्में है कृष्ण कन्हैया
तीनो ही कुल तारन हो ||
बोलवहू नगर से डगरीन नरीया कटावहुं हो
ललना ले आवहुं, सोने के कठौतिया त कान्हा
नहलावहु कन्हईया नहलावहु हो ||
ले आव बांस के सुपलवा कन्हईया निहुछावहु
हो ललना ले आवहु पियर पिताम्बर कन्हईया
पहिनावहु कान्हा पहिनावहु हो ||
ले आवहु सोने के मुकटवा त मोर पंख लगावल हो ललना लें
आवहु पैर पयजनीयां
तो कान्हा पहिनावहु कन्हइया पहिनावाहु हो ||
कान्हा के पांव पयजनीया तो बड़ा निक लागेला
मनमा के भावेला हो ललना झूम झूम बजे
पयजनियां अजब मन मोहेला हो ||
ठुमकी ठुमकी कान्हा चललन नन्द राजा के
आँगन हो ललना विहसी विहसी मनमा मोहत
यशोदा रानी धन्य भइलन हो ||
ले आवहू सोने के सिंहासन तो कान्हां बैठावहु
कन्हइया बैठावहु हो ललना ले आवहु
सूरही गाय के दूधवा तो कान्हा के पिलावहुं
यशोदा घर बजेला बधईया सखीअ सब सोहर
गावय हो ललना नन्द लुटावत हिरा, मोतिया तो कुल
के तारन अइलन हो ||
नन्द घर बजत बधईयाँ यशोदा घर सोहर हो – Nand ghar bajat badhai yashoda ghar sohar ho