जैन धर्म में कुल 24 तीर्थकर हुए। इनमें ऋषभदेव पहले तीर्थंकर एवं महावीर अंतिम तीर्थंकर थे। ऋग्वेद में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव तथा 22वें तीर्थंकर अरिष्ठनमि का उल्लेख मिलता है। ऋषभदेव कोआदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर अपना शरीर त्यागा। 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि को वासुदेव कृष्ण का भाई बताया जाता है। यद्यपि महावीर स्वामी जैन धर्म के संस्थापक नहीं थे किंतु उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित आधार प्रदान किया और व्यापक लोकप्रिय बनाया। अतः जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी को माना जाता है।
24 तीर्थंकरों के नाम –
1. ऋषभदेव जी
ऋषभदेव जी जैन धर्म के पहले तीर्थकर थे जिनका जन्म अयोध्या में उत्तरषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। इनको आदिनाथ या वृषभनाथ के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम नाभिराज व माता का नाम मरूदेवी था जो कि इश्वाकू वंश से थे। इनकी 2 पत्नियाँ थी जिनसे उनको 100 पुत्र व 2 पुत्रियाँ हुई। इनका चिन्ह वृषभ (बैल) को माना जाता हैं। ऋषभदेव जी को मोक्ष कैलाश पर्वत में वट वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
2. अजितनाथ जी
अजितनाथ जी जैन धर्म के दूसरे तीर्थकर थे जिनका जन्म अयोध्या में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम जीतशत्रु व माता का नाम विजयादेवी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह हाथी था। अजितनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखरजी में सर्पपर्ण वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
3.सम्भवनाथ जी
सम्भवनाथ जी जैन धर्म के तीसरे तीर्थकर थे जिनका जन्म श्रावस्ती में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम जितारी व माता का नाम सेनारानी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह घोड़ा था। सम्भवनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में शाल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
4. अभिनन्दन जी
अभिनन्दन जी जैन धर्म के चौथे तीर्थकर थे जिनका जन्म अयोध्या में पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम संवर व माता का नाम सिद्धार्था था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह बंदर था। अभिनन्दन जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में देवदा वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
5. सुमतिनाथ जी
सुमतिनाथ जी जैन धर्म के पांचवे तीर्थकर थे जिनका जन्म अयोध्या में मद्या नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम मेघरथ व माता का नाम सुमंगला था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह चकवा था। सुमतिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में प्रियंगु वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
6. पद्मप्रभ जी
पद्मप्रभ जी जैन धर्म के छठे तीर्थकर थे जिनका जन्म कौशाम्बीपुरी में चित्रा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीधर धरण राज व माता का नाम सुसीमा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह कमल था। पद्मप्रभ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में प्रियंगु वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
7. सुपार्श्वनाथ जी
सुपार्श्वनाथ जी जैन धर्म के सांतवे तीर्थकर थे जिनका जन्म काशीनगरी में विशाखा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सुप्रतिष्ठ व माता का नाम पृथ्वी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह साथिया था। सुपार्श्वनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में शिरीष वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
8. चंद्रप्रभु जी
चंद्रप्रभु जी जैन धर्म के आठवें तीर्थकर थे जिनका जन्म चंद्रपुरी में अनुराधा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम महासेन व माता का नाम लक्ष्मणा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह चंद्रमा था। चंद्रप्रभु जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में नाग वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
9. सुविधिनाथ जी
सुविधिनाथ जी जैन धर्म के नौवे तीर्थकर थे जिनका जन्म काकंदी में मूल नक्षत्र में हुआ था। इन्हें पुष्पदंत के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम सुग्रीव व माता का नाम रामा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह मगर था। सुविधिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में साल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
10. शीतलनाथ जी
शीतलनाथ जी जैन धर्म के दसवे तीर्थकर थे जिनका जन्म भद्रिकापुरी में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम दृढरथ राज व माता का नाम सुनंदा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह कल्पवृक्ष था। शीतलनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में प्लक्ष वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
11. श्रेयांसनाथ जी
श्रेयांसनाथ जी जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थकर थे जिनका जन्म सारनाथ में वण नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम विष्णु राज व माता का नाम विष्णुद्री था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह गैंडा था। श्रेयांसनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में तेंदुका वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
12. वासुपूज्य जी
वासुपूज्य जी जैन धर्म के बारहवे तीर्थकर थे जिनका जन्म चम्पापुरी में शतभिषा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम वासुपूज्य व माता का नाम जया था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह भैंसा था। वासुपूज्य जी को मोक्ष चम्पापुरी में पाटला वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
13.: विमलनाथ जी
विमलनाथ जी जैन धर्म के तेरहवे तीर्थकर थे जिनका जन्म काम्पिल्य में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम कृतवर्मन व माता का नाम श्यामा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह शूकर (जंगली सूअर) था। विमलनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में जम्बू वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
14. अनंतनाथ जी
अनंतनाथ जी जैन धर्म के चौदहवे तीर्थकर थे जिनका जन्म अयोध्या में रेवती नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सिंहसेन व माता का नाम सुयशा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह सेही था। अनंतनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में पीपल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
15. धर्मनाथ जी
धर्मनाथ जी जैन धर्म के पंद्रहवे तीर्थकर थे जिनका जन्म रत्नपुरी में पुष्य नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम भानुराजा व माता का नाम सुव्रता था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह वज्रदंड था। धर्मनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में दधिपर्ण वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
16. शांतिनाथ जी
शांतिनाथ जी जैन धर्म के सौलहवे तीर्थकर थे जिनका जन्म हस्तिनापुर में भरणी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम विश्वसेन व माता का नाम अचिरा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह हिरण था। शांतिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में नंद वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
17. कुंथुनाथ जी
कुंथुनाथ जी जैन धर्म के सत्रहवे तीर्थकर थे जिनका जन्म हस्तिनापुर में कृत्तिका नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सूर्य व माता का नाम श्रीदेवी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह बकरा था। कुंथुनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में तिलक वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
18. अरहनाथ जी
अरहनाथ जी जैन धर्म के अठारहवे तीर्थकर थे जिनका जन्म हस्तिनापुर में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सुदर्शन व माता का नाम देवीरानी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह मछली था। अरहनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में आम्र वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
19. : मल्लिनाथ जी
मल्लिनाथ जी जैन धर्म के उन्नीसवे तीर्थकर थे जिनका जन्म मिथिलापुरी में अश्विनी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम कुम्भ व माता का नाम रक्षिता था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह कलश था। मल्लिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में कुम्पअशोक वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
20. मुनिसुव्रतनाथ जी
मुनिसुव्रतनाथ जी जैन धर्म के बीसवे तीर्थकर थे जिनका जन्म राजगृह में श्रवण नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सुमित्र व माता का नाम पद्मावती था जो हरि वंश से थे। इनका चिन्ह कछुआ था। मुनिसुव्रतनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में चम्पक वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
21. नमिनाथ जी
नमिनाथ जी जैन धर्म के इक्कीसवें तीर्थकर थे जिनका जन्म मिथिला में अश्विनी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम विजय व माता का नाम वप्रा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह नीलकमल था। नमिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में वकुल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
22. नेमिनाथ जी
नेमिनाथ जी जैन धर्म के बाइसवे तीर्थकर थे जिनका जन्म सौरीपुर में चित्रा नक्षत्र में हुआ था। इन्हें अरिष्टनेमि के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम समुन्द्रविजय व माता का नाम शिवदेवी था जो यदु वंश से थे। इनका चिन्ह शंख था। नेमिनाथ जी को मोक्ष गिरनार में मेषश्रृंग वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
23. पार्श्वनाथ जी
पार्श्वनाथ जी जैन धर्म के तेइसवे तीर्थकर थे जिनका जन्म वाराणसी में विशाखा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम अश्वसेन व माता का नाम वामादेवी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह सर्प था। पार्श्वनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में घव वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।
24.महावीर स्वामी जी
महावीर स्वामी जी जैन धर्म के चौबीसवें व अंतिम तीर्थकर थे जिनका जन्म कुंडलग्राम (वैशाली के निकट) में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था। इन्हें वर्धमान, सन्मति, वीर व अतिवीर के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ व माता का नाम त्रिशाला था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह सिंह था। महावीर जी को मोक्ष पावापुरी, नालंदा, बिहार में साल वृक्ष के नीचे कार्तिक अमावस्या को प्राप्त हुआ था।