हर साल भाद्रपद महा की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है, इस दिन अगर महिलाएं सच्चे मन से प्रभु की आराधना करें और निर्जला व्रत करें, तो उन्हें भगवान भोलेनाथ की तरह ही वर की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत करती हैं और रात्रि जागरण करती हैं, उनके पति की लंबी उम्र होती है और घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है। लेकिन हर साल भाद्रपद माह में हरतालिका तीज का व्रत क्यों मनाया जाता है, चलिए हम आपको बताते हैं।

* भाद्रपद माह में ही क्यों मनाया जाता है हरतालिका तीज:

वैसे तो भगवान भोलेनाथ को सावन का महीना बहुत प्रिय होता है, लेकिन हरतालिका तीज का व्रत सावन के बाद भाद्रपद माह में मनाया जाता है। इसके पीछे पौराणिक मान्यता है कि इसी तिथि पर महादेव ने मां पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, इसलिए हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हरतालिका तीज का व्रत अगर विधि विधान से किया जाए, तो विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और अविवाहित लड़कियां मनचाहे वर और जल्द विवाह करने के लिए यह व्रत कर सकती हैं। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विधि पूर्वक पूजा की जाती है, सुबह से लेकर अगले दिन सुबह तक निर्जला व्रत किया जाता है, रात्रि जागरण होता है और हर प्रहर में पूजा की जाती है।

* हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त:

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12:21 पर शुरू होगी और इसका समापन 6 सितंबर को दोपहर 3:21 पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 6 सितंबर को ही हरतालिका तीज का व्रत किया जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:02 से लेकर 8:33 तक है। इस मुहूर्त में महिलाएं भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा अर्चना करके दोगुना फल पा सकती हैं।

* हरतालिका तीज व्रत में इन मंत्रों का करें जाप:

– ॐ उमायै नम:

– ॐ पार्वत्यै नम:

– ऊं जगद्धात्र्यै नम:

– ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:

– ॐशांतिरूपिण्यै नम:

– ॐ शिवायै नम:

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए भाद्रपद माह में क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज, क्या है इसके पीछे का कारण –

Know why hartalika teej is celebrated in the month of bhadrapada, what is the reason behind it

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