हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से 15 दिन के लिए पितृपक्ष आरंभ हो जाता हैं। सनातन धर्म में पितृ पक्ष को अपने पितरों के मोक्ष और मुक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार पितृपक्ष 29 सितंबर यानी शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं। मान्यता है कि श्राद्ध के लिए जो भोजन बनता है, उस भोजन का अंश धरती के पांच जीवों को जरूर दिया जाता है। इन पांच जीवों को सनातन धर्म के पंचतत्व से जोड़कर देखा गया है। इन पांच जीवों को श्राद्ध के भोजन का अंश पहुंचाने से तय होता है कि पितर शांत होते हैं। चलिए आज जानते हैं कि श्राद्ध के भोजन का अंश किन-किन जीवों के लिए निकाला जाता है और हिंदू धर्म में उनकी क्या भूमिका रही है।
# पितृपक्ष में 5 जीवों को क्यों निकाला जाता है भोजन:
* गाय
गाय को सनातन धर्म में मां का दर्जा प्राप्त है। पंचतत्व में गाय को पृथ्वी का तत्व कहा गया है। इसलिए गाय को श्राद्ध भोजन का अंश निकाला जाता है।
* कौआ
वहीं, कौए को सनातन धर्म में वायु तत्व का प्रतीक कहा गया है। मान्यता है कि श्राद्ध के भोजन का अंश कौए ने खा लिया तो समझिए पितरों का पेट भर गया है और वो प्रसन्न हैं। इसलिए श्राद्ध भोजन का अंश कौए के लिए जरूर निकाला जाता है। इसके अलावा पितृ पक्ष में कौए को देखना बहुत शुभ माना जाता है।
* कुत्ता
सनातन धर्म में कुत्ते को जल तत्व का प्रतीक कहा गया है। कहा जाता है कि श्राद्ध भोजन का एक अंश कुत्ते को खिलाया जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा शांत होती है और वो खुश होकर घर परिवार को उन्नति का वरदान देते हैं।
* देवता
देवताओं को आकाश तत्व का प्रतीक कहा गया है। देवताओं को हर तरह के भोज का पहला अंश खिलाने की सनातन धर्म की परंपरा रही है। कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष के भोजन का अंश देवताओं के लिए निकालने पर पितर प्रसन्न होकर घर परिवार को खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं।
* चींटी
चींटी देखने में भले ही छोटी सी हो, लेकिन सनातन धर्म में इसे अग्नि का प्रतीक कहा गया है। श्राद्ध पक्ष में भोजन का अंश चींटी के लिए भी निकाला जाता है। इससे पितर तृप्त होतें है और अपनी आने वाली पीढ़ी के उत्थान के लिए प्रार्थना करते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए पितृ पक्ष में क्यों खिलाया जाता है 5 जीवों को भोजन, पंचतत्व से जुड़ा है इनका कनेक्शन –
Know why food is fed to 5 creatures during pitru paksha, their connection is with panchatatva.