जानिए इस महीने कब रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत और किस मुहूर्त में पूजा की जा सकती है संपन्न – Know when sankashti chaturthi fast will be observed this month and at what auspicious time the puja can be performed

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जानिए इस महीने कब रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत और किस मुहूर्त में पूजा की जा सकती है संपन्न - Know when sankashti chaturthi fast will be observed this month and at what auspicious time the puja can be performed

संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, अक्टूबर के महीने में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इस दिन, भक्त भगवान गणेश की विशेष पूजा करते हैं, जो उन्हें लंबी उम्र और अच्छी सेहत का वरदान मिलता है।

* संकष्टी चतुर्थी की तिथि और पूजा का समय – 

संकष्टी चतुर्थी की तिथि 20 अक्टूबर की सुबह 6:46 बजे से आरंभ होगी और 21 अक्टूबर की सुबह 4:16 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 21 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7:54 बजे है, जिसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को संपन्न माना जाता है।

* पूजा विधि – 

1. स्नान और संकल्प: सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. जलाभिषेक: भगवान गणेश का जलाभिषेक करें।
3. पूजन सामग्री: भगवान गणेश को पुष्प चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं।
4. भोग अर्पित करें: तिल के लड्डू और मोदक भगवान गणेश के समक्ष अर्पित करें।
5. कथा और मंत्र: पूजा में वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ें और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
6. आरती: पूजा के अंत में भगवान गणेश की आरती करें।

* व्रत का समापन – 

संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होता है। इस दिन की पूजा भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है, और यह विश्वास किया जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

* भगवान गणेश के मंत्र – 

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

गणेश मंत्र

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

शुभ लाभ गणेश मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए इस महीने कब रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत और किस मुहूर्त में पूजा की जा सकती है संपन्न –

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