सावन माह व्रत और त्योहारों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस माह में भगवान शिव की पूजा अर्चना का खास महत्व है और भक्त महादेव की पूजा के लिए सावन सोमवार का व्रत रखते हैं। सावन में मंगलवार को माता पार्वती की पूजा के लिए हर मंगलवार को मंगलागौरी का व्रत रखा जाता है। इसके अलावा सावन में एक और महत्वपूर्ण व्रत आता है वरलक्ष्मी। यह व्रत धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि वरलक्ष्मी का व्रत रखने से माता लक्ष्मी की कृपा से संतान और धन धान्य की कामना पूरी होती है। आइए जानते हैं कब है वरलक्ष्मी व्रत और क्या है इस व्रत का महत्व।
* कब रखा जाएगा वरलक्ष्मी व्रत:
वरलक्ष्मी व्रत सावन माह के अंतिम शुक्रवार को रखा जाता है। सप्ताह में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना के लिए समर्पित होता है। सावन माह में अंतिम शुक्रवार का विशेष महत्व होता है और इस दिन वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस बार सावन माह 22 अगस्त को समाप्त होगा और 16 अगस्त को सावन का अंतिम शुक्रवार आएगा। इसलिए 16 अगस्त को वरलक्ष्मी का व्रत रखा जाएगा।
* वरलक्ष्मी व्रत से जुड़ी मान्यताएं:
सावन माह पूजा पाठ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माह होता है। इस माह में भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ नाग देवताओं की भी पूजा की जाती है। इस माह सावन सोमवार, मंगलागौरी, नागपंचमी के साथ साथ वरलक्ष्मी का व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत का दक्षिण भारत में अधिक प्रचलन है। मान्यता है कि वरलक्ष्मी का व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना से संतान और धन संपति की मनोकामना पूर्ण होती है।
वरलक्ष्मी व्रत रखने के लिए सुबह घर में शुभ मुहूर्त में श्रीयंत्र की स्थापना करनी चाहिए। शाम को घी का दीपक जलाकर महालक्ष्मी मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम: मंत्र जाप करना चाहिए। इस व्रत के दिन महिलाएं रंगोली बनाती हैं और हल्दी कुमकुम स्वास्तिक का निशान बनाती हैं। इसके साथ ही वरलक्ष्मी व्रत के दिन सात कन्याओं को घर बुलाकर चावल से बनी खीर खिलाने की भी परंपरा है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए कब है वरलक्ष्मी व्रत और क्या है इस व्रत का महत्व – Know when is varalakshmi fast and what is the importance of this fast