आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जुलाई महीने का अंतिम प्रदोष व्रत है और यह गुरु प्रदोष व्रत है। यह आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत भी है। हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखे जाने वाले प्रदोष व्रत भगवान शिव शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है।
* गुरु प्रदोष व्रत की तिथि:
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को रात 8 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 19 जुलाई को शाम 7 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत 18 जुलाई गुरुवार को रखा जाएगा। 18 जुलाई को गुरुवार होने के कारण गुरु प्रदोष व्रत होगा।
* गुरु प्रदोष व्रत का मुहूर्त:
18 जुलाई गुरुवार को को गुरु प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा के लिए 39 मिनट का ही शुभ समय मिल रहा है। रात्रि रात्रि 8 बजकर 44 मिनट से रात 9 बजकर 23 मिनट तक शिव पूजा का शुभ मुहूर्त है।
* गुरु प्रदोष व्रत पर बनने वाले योग:
18 जुलाई को गुरु प्रदोष व्रत के दिन कई खास योग बन रहे हैं। यह दिन ब्रह्म योग और ज्येष्ठा नक्षत्र में हैं। इसके साथ सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक शुक्ल योग है। उसके बाद 19 जुलाई को प्रात: 4 बजकर 45 मिनट तक से ब्रह्म योग रहेगा। इस दिन प्रात: 3 बजकर 25 मिनट से प्रात: 5 बजकर 35 मिनट तक रवि योग बन रहा है।
* गुरु प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक का समय:
गुरु प्रदोष व्रत भोलनाथ का रुद्राभिषेक बहुत फलदाई होती है। इस दिन भवान शिव का कैलाश पर वास प्रात: काल से लेकर रात 8 बजकर 44 मिनट तक और उसके बाद नंदी पर वास होगा।
* गुरु प्रदोष व्रत का महत्व:
माना जाता है कि गुरु प्रदोष व्रत रखने प्राप्त शिव कृपा से शत्रुओं पर विजय मिलती है। इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है और समस्याएं समाप्त हो जाती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। )
जानिए कब है जुलाई में आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत, उसकी तिथि और बनने वाले खास योग के बारे में –
Know when is the last pradosh fast of ashadh month in july, its date and the special yoga to be formed