एकादशी की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। कहते हैं जो भक्त एकादशी का व्रत रखते हैं उनके घर खुशहाली आती है, संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और जीवन सुखमय बन जाता है। पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल सावन एकादशी के व्रत की तिथि को लेकर भक्तों में उलझन की स्थिति बन रही है। कुछ भक्तों का कहना है कि सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 15 अगस्त के दिन रखा जाएगा और कुछ मान रहे हैं कि पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त के दिन मनाई जाएगी।
* कब है पुत्रदा एकादशी:
पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 15 अगस्त की सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 16 अगस्त की सुबह 9 बजकर 39 पर हो रहा है। इस चलते सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 17 अगस्त के दिन सुबह 5 बजकर 51 मिनट से लेकर 8 बजकर 5 मिनट के बीच किया जा सकता है।
* पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि:
पुत्रदा एकादशी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना बेहद शुभ होता है। भक्त भगवान विष्णु का ध्यान करके पुत्रदा एकादशी व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद पूजा की जाती है। पूजा करने के लिए चौकी सजाई जाती है और उसपर पीले रंग का कपड़ा बिछाते हैं। इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति विराजित की जाती है। अब घी का दीपक जलाया जाता है, पंजीरी, पंचामृत, पीले फूल, आम के पत्ते, अक्षत, पंचमेवा, धूप, फल, पीले वस्त्र और मिठाई आदि को भगवान के समक्ष अर्पित करते हैं। पूजा के मंत्रों का जाप किया जाता है और आरती गाई जाती है। आखिर में भोग लगाकर पूजा पूरी की जाती है और प्रसाद सभी को बांटा जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए क्या है पुत्रदा एकादशी की सही तिथि और किस तरह की जा सकती है पूजा संपन्न –
Know what is the exact date of putrada ekadashi and how the puja can be performed