सनातन धर्म में सावन माह को बहुत पवित्र माना जाता है। सावन में भक्त पूरे माह महादेव की पूजा और अभिषेक करते हैं। भक्त कांवर लेकर देश भर में शिव मंदिरों में भगवान शिव के जल चढ़ाने पहुंचते हैं। इस बार जुलाई माह के 22 तारीख से सावन माह शुरू होगा और 19 अगस्त को सावन पूर्णिमा को समाप्त होगा। भगवान शिव को समर्पित सावन माह में भक्त हर दिन शिवलिंग की पूजा करते हैं। मान्यता है कि पूरे रखने और पूजा करने से भोलनाथ भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण कर देते है। भगवान शिव की पूजा शिवलिंग पूजा के रूप मे होती है और इसके कुछ नियम हैं।, जिनका पालन जरूरी होता है। कुछ चीजें शिवलिंग चढ़ाना वर्जित माने जाते हैं।
* तुलसी के पत्ते वर्जित:
हिंदू धर्म में पूजा पाठ में तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता है। शिवलिंग पूजा में तुलसी की पत्तियां वर्जित होती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति का वध किया था, इसलिए तुलसी माता ने अपने पवित्र और गुणकारी पत्तों से उन्हें वंचित कर दिया था। इसलिए शिवलिंग पर भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए।
* कभी न चढ़ाएं नारियल पानी:
शिवलिंग की पूजा में नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। पूजा पाठ में भगवान को चढ़ाए गए नारियल को प्रसाद में ग्रहण किया जाता है शिवलिंग के अभिषेक जिन भी चीजों का उपयोग होता है उन्हें ग्रहण करने की मनाही होती है। इसलिए कभी भी शिवलिंग पर नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए।
* शिव पूजा में केतकी के फूल वर्जित:
सावन में पूरे माह शिवलिंग की पूजा का विधान है। महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग व्रत भी रखते हैं। शिवलिंग पर केतकी के फूल अर्पित नहीं किए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी के झूठ में केतकी के फूल ने उनका साथ दिया था। इससे नाराज होकर महादेव ने केतकी के फूल को श्राप दे दिया था। इसी से इस फूल को शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाही है।
* शंख का प्रयोग वर्जित:
पौराणिक कथा के अनुसार महादेव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का संहार किया था। शंखचूड़का जन्म शंख हुआ था। इसीलिए भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित माना गया है। यही नहीं भोलेनाथ को शंख से अभिषेक भी नहीं किया जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए सावन माह में शिवलिंग पूजा के दौरान क्या पूर्णतः वर्जित माना जाता है।
Know what is considered completely prohibited during shivling puja in the month of sawan