हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है, जो सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन, महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को मिट्टी के करवे से अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करती हैं। इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा।

क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ की पूजा में मिट्टी के करवे का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।

* माता सीता से जुड़ी मान्यता – 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ में मिट्टी के करवे का इस्तेमाल माता सीता से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि जब माता सीता और माता द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत किया था, तब उन्होंने मिट्टी के करवे का उपयोग किया था।

* पंच तत्वों का प्रतीक – 

सनातन धर्म में करवा पांच तत्वों का प्रतीक माना जाता है, जिसमें जल, मिट्टी, अग्नि, आकाश और वायु समाहित होते हैं। इसीलिए करवा चौथ की पूजा में दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए मिट्टी के करवे का इस्तेमाल किया जाता है।

* करवे का आकार और उपयोग – 

मिट्टी का करवा मटके के आकार का होता है, लेकिन इसका आकार छोटा होता है। इसके बीच में एक टोंटी होती है, जिसके माध्यम से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सकता है। करवा चौथ के शुभ अवसर पर महिलाएं करवे में जल भरकर इसकी पूजा करती हैं और रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद इससे अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूरा करती हैं।

* पूजा सामग्री की सूची – 

करवा चौथ की पूजा की थाली में अन्य आवश्यक सामग्री भी रखी जाती है, जैसे फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, चंदन, कुमकुम, गंगाजल, दीपक, रुई, रोली, हल्दी, चावल, मिठाई, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और छलनी।

इस प्रकार, करवा चौथ का यह विशेष व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए बल्कि दांपत्य जीवन की सुख-शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है।

 

जानें करवा चौथ पर चंद्रमा को मिट्टी के करवे से अर्घ्य देने का महत्व के बारे में –

Know the importance of offering to the moon only with a clay pot on karva chauth

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