जानिए गुरु पूर्णिमा मनाने के पीछे क्या है मान्यता, कथा और पूजा विधि के बारे में – Know the belief, story and worship method behind celebrating guru purnima

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हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। यह पर्व आध्यात्मिक गुरुओं और शिक्षकों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित एक प्रमुख त्यौहार है। यह उन गुरुओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और स्मरण का दिन है जो अंतर्दृष्टि और समझ के साथ हमारे मार्ग को रोशन करते हैं। आपको बता दें कि हम गुरु पूर्णिमा को कई कारणों से मनाते हैं, जो सभी आध्यात्मिक मार्गदर्शन और ज्ञान के महत्व पर केन्द्रित हैं। ऐसे में चलिए उन कारणों पर एक नजर डालते हैं, साथ ही गुरु पूर्णिमा की पूजा कैसे करते हैं उसके बारे में भी जानेंगे।

* गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं ?

1- गुरु पूर्णिमा मुख्य रूप से हमारे गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है। ये गुरु औपचारिक आध्यात्मिक शिक्षक या कोई भी व्यक्ति हो सकते हैं जो हमें ज्ञान और बुद्धि और हमारे जीवन पथ पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

2- शिष्य परम्परागत रूप से प्रार्थना करते हैं, पूजा करते हैं, तथा अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मंत्र पढ़ते हैं तथा निरंतर मार्गदर्शन के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

3- इस दिन वेदों के रचायिता वेद व्यास जी की जन्मतिथि भी होती है। ऐसे में इसे वेद व्यास जयंती भी कहते हैं। आपको बता दें कि पूजनीय ऋषि वेद व्यास जी को ज्ञान को संरक्षित करने और प्रसारित करने में उनकी भूमिका के लिए उन्हें “गुरुओं का गुरु” माना जाता है।

4- गुरु पूर्णिमा को उस दिन के रूप में भी मनाते हैं जब गौतम बुद्ध ने भारत के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इस प्रवचन ने उनकी शिक्षाओं और ज्ञान प्राप्ति के बौद्ध मार्ग की शुरुआत को चिह्नित किया था।

 

# गुरु पूर्णिमा पूजा विधि 2024 – 

* जल्दी उठकर स्नान करें: 

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। आप चाहे तो किसी पवित्र नदी में भी स्नान कर सकते हैं या नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें।

* व्रत का संकल्प लीजिए: 

नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें, अगर व्रत कर रहे हैं तो उसका संकल्प लें। सभी देवी देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें।

* सात्विक चीजों का भोग लगाएं: 

भोग लगाते समय एक तुलसी का पत्ता जरूर डालें और इस दौरान केवल सात्विक चीजों का भोग लगाएं। अगर आपके घर में महर्षि वेदव्यास जी की प्रतिमा है, तो तिलक लगाकर उनका पूजन करें, उनका ध्यान करें।

* गुरुओं का ध्यान करें: 

अपने गुरुओं का ध्यान करें और गुरु का आशीर्वाद लें। गुरु पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करें। गुरु पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद को दान करें और गाय को चारा या भोजन जरूर खिलाएं।

* गुरु पूर्णिमा मंत्र: 

गुरु पूर्णिमा के दिन ॐ बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करने से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख शांति और समृद्धि का वास होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। )

 

जानिए गुरु पूर्णिमा मनाने के पीछे क्या है मान्यता, कथा और पूजा विधि के बारे में –

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