जानिए किस दिन रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में – Know on which day bhaum pradosh fast will be observed, its importance and mythological story

You are currently viewing जानिए किस दिन रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में – Know on which day bhaum pradosh fast will be observed, its importance and mythological story
जानिए किस दिन रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में - Know on which day bhaum pradosh fast will be observed, its importance and mythological story

हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। ऐसे में एक महीने में दो और साल में 24 से 25 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। हर माह के प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि-विधान से अगर पूजा की जाए तो उनका आशीर्वाद साधकों पर सदैव बना रहता है। ऐसे में अगले महीने यानी कि जून में भौम प्रदोष कब पड़ेगा, इस दिन आपको क्या करना चाहिए और प्रदोष व्रत की कथा क्या है, जानें यहां।

* भौम प्रदोष व्रत जून 2024: 

जून के महीने में प्रदोष व्रत, मंगलवार, 4 जून 2024 को पड़ेगा। यह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाएगा। वहीं, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर बुध प्रदोष व्रत 19 जून 2024 को होगा। प्रदोष व्रत 4 जून, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। मंगलवार का दिन होने के चलते इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। कहते हैं कि मंगलवार के दिन प्रदोष का व्रत करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में आप भौम प्रदोष के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के बाद पूरे दिन का व्रत कर उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें।

* भौम प्रदोष व्रत कथा: 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में एक पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी अपने भरण पोषण के लिए अपने बेटे के साथ भीख मांगने लगी। एक बार जब शाम को वो भीख मांग कर घर लौटी तो उसकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई जो अपने पिता की मौत के बाद दर-दर भटकने लगा था।

उसकी ये हालत देखकर पुजारी की पत्नी उसे अपने साथ ले आई और अपने बेटे की तरह उसे प्यार करने लगी। एक दिन पुजारी की पत्नी अपने दोनों बेटों के साथ शांडिल्य ऋषि के आश्रम गई और ऋषि से शिवजी के प्रदोष व्रत की कथा सुनी और वो भी प्रदोष व्रत करने लगीं।

कहते हैं कि एक बार उनके दोनों पुत्र वन में घूम रहे थे। पुजारी का बेटा तो घर लौट आया, लेकिन राजकुमार का बेटा वन में ही रह गया। जहां उनकी मुलाकात गंधर्व कन्या अंशुमती से हुई। इसके बाद वो उस दिन घर देरी से लौटे। दूसरे दिन राजकुमार फिर उसी जगह पहुंचे जहां पर अंशुमती अपने माता-पिता के साथ खड़ी थीं। उनके माता-पिता ने राजकुमार को पहचान लिया। अंशुमती के माता-पिता को राजकुमार पसंद आए और उन्होंने कहा कि शिवजी की कृपा से हम अपनी पुत्री का विवाह आपसे करना चाहते हैं। तब राजकुमार ने स्वीकृति दी और दोनों का विवाह संपन्न हुआ।

इसके बाद राजकुमार ने गंधर्व की विशाल सेवा के साथ विदर्भ पर हमला किया और युद्ध पर विजय प्राप्त की और वो उस राज्य के राजा बन गए। इसके बाद उन्होंने महल में पुजारी की पत्नी और पुत्र को बुलाया और सम्मान के साथ उनका आदर सत्कार किया। फिर वो भी सुख से अपना जीवन व्यतीत करने लगे। एक बार अंशुमती ने राजकुमार से इस बारे में पूछा, तब राजकुमार ने अंशुमती को अपने जीवन की पूरी बात बताई और साथ ही प्रदोष व्रत का महत्व भी बताया। तब से कहा जाता है कि प्रदोष व्रत को करने से सभी कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए किस दिन रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में –

Know on which day bhaum pradosh fast will be observed, its importance and mythological story