विवाहित हिंदू महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। यह व्रत कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है, जो इस वर्ष 20 अक्टूबर, शनिवार को आएगा। महिलाएं इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के निकलने तक उपवासी रहती हैं।

हर व्रत के साथ एक कथा जुड़ी होती है, जो उस व्रत के महत्व और इतिहास को दर्शाती है। करवाचौथ व्रत कथाएं सुनना इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इन कथाओं के बिना व्रत को पूरा नहीं माना जाता।

पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, तुंगभद्रा नदी के किनारे करवा नामक धोबिन अपने बुजुर्ग पति के साथ रहती थी। एक दिन, कपड़े धोते समय उसके पति को एक मगरमच्छ ने पकड़ लिया। धोबी ने घबराकर अपनी पत्नी को पुकारा। करवा ने कच्चे धागे से मगरमच्छ को बांधकर यमराज से अपने पति की रक्षा की गुहार लगाई।

यमराज ने बताया कि मगरमच्छ की आयु अभी बाकी है, लेकिन उसके पति का समय समाप्त हो गया है। करवा ने यमराज को श्राप देने की धमकी दी, जिससे यमराज ने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा का पति बच गया। इसके बाद से कार्तिक कृष्ण पक्ष की चौथ को करवाचौथ मनाने की परंपरा शुरू हुई।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। सभी बहुएं और बेटी करवाचौथ का व्रत रखती थीं। रात को भाइयों ने बहन से भोजन करने के लिए कहा, लेकिन बहन ने चंद्रमा के निकलने के बाद ही भोजन करने की बात कही। भाइयों ने बहन का भूखा चेहरा देखकर, उसे धोखे से एक पेड़ पर आग जलाकर चंद्रमा समझा दिया। बहन ने अर्घ्य देकर भोजन कर लिया, जिससे उसका व्रत भंग हो गया। इसके परिणामस्वरूप, भगवान गणेश नाराज हो गए और बहन का पति बीमार पड़ गया। बहन ने पश्चाताप करते हुए पुनः विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत किया। भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसके पति को जीवनदान दिया।

इन कथाओं के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि करवाचौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और समर्पण का प्रतीक है। महिलाएं इस दिन अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत करती हैं। इस करवाचौथ, इन कहानियों को सुनकर अपने व्रत का महत्व समझें और अपने पति के साथ मिलकर इस पर्व को मनाएं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए करवा चौथ व्रत से जुड़ी कई कथाएं – Know many stories related to karva chauth fast

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