हिंदू धर्म में हर एकादशी का खास महत्व होता है लेकिन देवशयनी एकादशी और देवउठनी एकादशी अत्यधिक महत्व रखती है। देवशयनी एकादशी पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु 4 महीने के लिए शयनकाल के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं और इसके बाद देवउठनी एकादशी पर जागते हैं, इस दौरान संसार में कोई भी मांगलिक और शुभ कार्य नहीं होता है। इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। तुलसी मैय्या को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है, ऐसे में तुलसी पूजा करके श्रीहरि का आशीर्वाद पाया जा सकता है।
देवशयनी एकादशी पर तुलसी की पूजा का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि श्री हरि को तुलसी बहुत प्रिय है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में देवशयनी एकादशी पर तुलसी के पौधे पर एक लाल रंग की चुनरी जरूर चढ़ाएं।
कहते हैं लाल रंग की चुनरी तुलसी मैया को अर्पित करने से जीवन में सुख, समृद्धि, धन-दौलत की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं।
इसके अलावा देवशयनी एकादशी पर एक पीले धागे में 108 गांठ लगाएं और उसे तुलसी के गमले के चारों ओर बांध दें, फिर हाथ जोड़कर तुलसी मैया से प्रार्थना करें। ऐसा करने से लक्ष्मी मां अपनी कृपा साधकों पर बरसाती हैं। देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर लाल कलावा भी जरूर बांधना चाहिए, इससे आपकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं और श्रीहरि और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद आपको मिलता है। देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए, इसके अलावा तुलसी के पौधे के पास एक घी का दीया जलाकर सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से सभी दुख दर्द नष्ट हो जाते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए देवशयनी एकादशी के दिन किस तरह तुलसी माता की पूजा की जाती है –
Know how tulsi mata is worshiped on the day of devshayani ekadashi