शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है, जिसमें नौ दिन तक माता आदिशक्ति की पूजा-अर्चना की जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि तीन अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी। इस बार चतुर्थी तिथि में वृद्धि और नवमी तिथि का क्षय हो रहा है, जिसके कारण महाअष्टमी और महानवमी व्रत एक साथ 11 अक्टूबर को रखा जाएगा। 12 अक्टूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी।
* कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त –
ज्योतिष अनुसार, शारदीय नवरात्रि का आरंभ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी 3 अक्टूबर से होगा। इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6:07 बजे से 9:30 बजे तक रहेगा। इसके अतिरिक्त, 11:37 बजे से 12:23 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है।
* महाअष्टमी और महानवमी व्रत –
नवरात्रि में इस बार चतुर्थी तिथि का विस्तार हो रहा है और नवमी तिथि का क्षय होगा। इसके परिणामस्वरूप, महाअष्टमी और महानवमी व्रत 11 अक्टूबर को एक साथ मनाए जाएंगे। महाअष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को सुबह 7:29 बजे से शुरू होकर 11 अक्टूबर को सुबह 6:52 बजे तक रहेगी। महानवमी तिथि 11 अक्टूबर को प्रारंभ होकर 12 अक्टूबर को प्रात: 6:52 बजे समाप्त होगी।
* माता का आगमन और विदाई –
इस शारदीय नवरात्रि में माता का आगमन डोली पर होगा और विदाई हाथी पर। यह संकेत देता है कि माता का डोली पर आगमन संकट का और हाथी पर विदाई अधिक वर्षा का प्रतीक होता है। यह दोनों विशेषताएं इस नवरात्रि को और महत्वपूर्ण बनाती हैं।
* विजयदशमी और पारण –
विजयदशमी का पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाएगा। व्रत रखने वाले श्रद्धालु 12 अक्टूबर को सुबह 6:13 बजे के बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।
* नवरात्रि का पौराणिक महत्व –
मार्कंडेय पुराण के अनुसार, दुर्गा सप्तशती में शारदीय नवरात्र का वर्णन मिलता है। महिषासुर के अत्याचार से त्रस्त देवताओं ने देवी भगवती की अराधना की, जिसके परिणामस्वरूप देवी दुर्गा का प्राकट्य हुआ और उन्होंने असुरों का संहार किया। तभी से शारदीय नवरात्रि का व्रत आरंभ हुआ, जो आज तक भक्तगण मनाते हैं।
इस शारदीय नवरात्रि में माता दुर्गा का डोली पर आगमन और हाथी पर विदाई विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। महाअष्टमी और महानवमी का एक ही दिन 11 अक्टूबर को आना भी इस बार की नवरात्रि को विशेष बनाता है।
जानिए इस नवरात्रि के खास मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां के बारे में –
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