भगवान शिव के प्रिय माह सावन में शिव भक्त भोलेनाथ की भक्ति में रंग जाते हैं। भक्त पूरे माह भोलेनाथ की पूजा अर्चना, अभिषेक करते हैं। भगवान शिव भक्तों से अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। सावन में उन्हें उनकी प्रिय चीजें भांग, धतुरा, आक फूल, शमी के पत्ते, बेल पत्र चढ़ाना चाहिए। हालांकि भोले बाबा को केवल जल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है। इस माह में पंचाक्षरी शिव मंत्र “ऊं नम: शिवाय:” के जाप का भी बहुत महत्व है। इस मंत्र के जाप से मोक्ष प्राप्ति होती है। हालांकि इस मंत्र का ठीक से जाप करना जरूरी होता है। यहां तक कि स्त्री पुरुष के लिए इस मंत्र के जाप के अलग अलग नियम हैं। महाशिवपुराण में इस मंत्र के जाप को लेकर विस्तार से बताया गया है।

* पंचाक्षरी शिव मंत्र: 

भगवान शिव के पंचाक्षरी शिव मंत्र में प्रकृति के पांचों तत्वों को नियंत्रित करने की शक्ति है। “ऊं नम: शिवाय:” में न पृथ्वी, म: जल, शि अग्नि, वा प्राण वायु और य आकाश को इंगित करते हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने स्वयं इस मंत्र में बारे में माता पार्वती को बताते हुए कहा था कि कलयुग में यह मंत्र सभी पापों और कष्टों को हरने वाला होगा।

* पुरुष के लिए नियम: 

शिव पुराण के अनुसार पुरुष इस मंत्र को तापे सीधे षडाक्षर यानी “ऊं नम: शिवाय:” कह सकते हैं और इस मंत्र का 11, 21 या 108 बार जाप करना चाहिए।

* स्त्री के लिए नियम: 

शिव पुराण के अनुसार स्त्रियों को इस मंत्रा का जाप पंचाक्षर से करना चाहिए यानी उन्हें मंत्र की शुरूआत नम: शिवाय: से करना चाहिए।

* मंत्र का महत्व: 

स्कन्दपुराण के अनुसार “ऊं नम: शिवाय:” महामंत्र और मोक्ष को प्रदान करने वाला है। ऊं एक एकाक्षर मंत्र है और इसमें तीन गुण अतीत, सर्वज्ञ और सर्वकर्ता समाहित है जो भगवान शिव में प्रतिष्ठित हैं। “ऊं नम: शिवाय:” से पापों का नाश हो जाता है और पारलौकिक सुख प्राप्त होता है। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष के साथ करना चाहिए।

 

जानिए पंचाक्षरी शिव मंत्र “ऊं नम: शिवाय:” के जाप का क्या नियम और इसके महत्व के बारे में –

Know about the rule of chanting panchakshari shiva mantra “om namah shivay” and its importance

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