शनि प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर भक्त व्रत रखते हैं और भगवान की पूजा करते हैं। इस महीने शनि प्रदोष व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानि शनिवार को मनाया जाएगा।

* प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:

भाद्रपद माह की इस तिथि का शुभारंभ 31 अगस्त को रात 2 बजकर 25 मिनट से होगा, जो अगले दिन 1 सितंबर की रात 3 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगा। इस बीच पूजा का शुभ समय क्या है वो भी जान लीजिए।

* पूजन का समय:

पूजन के लिए भक्तों को शाम 6 बजकर 43 मिनट से लेकर रात के 08 बजकर 59 मिनट तक का समय मिलेगा।

# शनि प्रदोष पूजा विधि:

* व्रत का संकल्प लें:

व्रत के पूजन के लिए भले ही समय निर्धारित है लेकिन इसकी तैयारी सुबह उठने के साथ ही शुरू हो जाती है। पूजन के लिए भक्त सुबह उठें और सबसे पहले स्नान करके खुद को शुद्ध करें। इसके बाद अपने पूजन के स्थान को अच्छे से साफ करें। यहां माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन करें और दिनभर के व्रत का संकल्प लें।

* सामग्री:

पूजन के समय से पहले पूजन की पूरी तैयारी कर लें। जैसे जरूरी सामग्री को चुन लें। भगवान का स्थान साफ करें। नवैद्य तैयार करें। ये सारे काम करते हुए मन में भगवान का जाप करते रहें।

* पूजन का समय:

जैसे ही पूजन का समय हो एक साफ चौकी रखें। इस चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वत की प्रतिमा रखें। अब पंचामृत लेकर, उससे भगवान शिव का अभिषेक करें।

* दीपक प्रज्वलित:

भगवान के समक्ष, देसी घी का दीपक प्रज्वलित करना न भूलें। पंचामृत अर्पित करने के बाद भगवान को चंदन और कुमकुम से तिलक करें।

* गुड़हल, कनेर और मदार:

साथ ही उन्हें गुड़हल, कनेर और मदार के पुष्प भी अर्पित करें। इस दिन नवैद्य में खीर, हलवा, फल, कुछ घर का बना हुआ मीठा तैयार किया जाता है। इसे भी भगवान को अर्पित करें।

* पंचाक्षरी मंत्र:

पूजन में पंचाक्षरी मंत्र, शिव चालीसा और प्रदोष व्रत की कथा का पाठ जरूर करें।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए शनि प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त और विधि के बारे में –

Know about the puja time and method of shani pradosh fast

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