जानिए देवशयनी एकादशी के दिन विष्णु योग निद्रा की पौराणिक कथा और महत्व के बारे में – Know about the mythology and importance of vishnu yoga nidra on the day of devshayani ekadashi

हर माह की एकादशी की तिथि भगवान श्री हरि यानी विष्णु जी की पूजा के लिए समर्पित है। हर एकादशी का अपना महत्व होता है। आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आषाढ़ी एकादशी और देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान श्री हरि चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। इसी दिन प्रभु श्री हरि की चार माह की योग निद्रा भी शुरू होगी और चार माह बाद देवउठनी एकादशी पर समाप्त होगी। जगत का पालन करने वाले भगवान के शयन करते समय इस दुनिया का संचालन कौन करता है और देवशयनी एकादशी से कौन सी पौराणिक कथा जुड़ी है, आइए जानते देवशयनी एकादशी से जुड़ी हर बात।

* देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त: 

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 जुलाई को संध्या 8 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और 17 जुलाई को रात्रि 9 बजकर 2 मिनट पर रहेगी। इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई बुधवार का रखा जाएगा।

* देवशयनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा: 

भागवत पुराण में वर्णन है कि देवराज इंद्र को फिर से स्वर्ग का राजा बनाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। असुरों के राजा बलि बहुत शक्तिशाली और दानवीर था। उसने अपने पराक्रम से तीनों लोक पर अधिकार कर लिया था। इंद्र से स्वर्ग छिन जाने पर सभी देवी-देवताओं से भगवान विष्णु से गुहार लगाई और तक भगवान तब वामन का अवतार लेकर राजा बलि के पास पहुंचे। उन्होंने राजा बलि से तीन गज भूमि मांगी। राजा बलि के स्वीकार करने पर वामन भगवान ने एक डग में पूरी धरती, आकाश और सभी दिशाओं को नाप लिया। दूसरे डग में उन्होंने स्वर्ग लोक को नाप लिया और उन्होंने राजा बलि से पूछा कि अब में तीसरा डग कहां रखूं। राजा बलि पहचान गए कि स्वयं प्रभु उनकी परीक्षा लेने आए हैं, उन्होंने अपना सिर झुका दिया। भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि की यह दानशीलता देखकर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ महल में रहने और सेवा का सौभाग्य प्रदान करने का वरदान मांगा।

इससे माता लक्ष्मी विचलित हो गई और उन्होंने राजा बलि को अपना भाई बनाकर उन्हें भगवान विष्णु को वचन मुक्त करने को कहा। इसके बाद भगवान विष्णु ने कहा कि वह चार माह के लिए पाताल लोक में शयन करेंगे और इस दौरान सृष्टि का संचालन सुचारू रूप से चलता रहे, इसलिए नारायण भगवान ने भगवान शिव को इन चार माह पूरे जग का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी। इसीलिए माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान संसार का संचालन भगवान शिव द्वारा किया जाता है और इस समय भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए देवशयनी एकादशी के दिन विष्णु योग निद्रा की पौराणिक कथा और महत्व के बारे में –

Know about the mythology and importance of vishnu yoga nidra on the day of devshayani ekadashi

Leave a Reply

Devotional Network: Daily spiritual resources for all. Our devotionals, quotes, and articles foster growth. We offer group study and community to strengthen your bond with God. Come join us, for believers and seekers alike.

Contact Us