करवाचौथ का पर्व विवाहित स्त्रियों के लिए खास महत्व रखता है। यह पर्व नारी के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रदर्शन कर पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत का पारण करती हैं। इस साल करवाचौथ 20 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। करवाचौथ पर सोलह श्रृंगार का खास महत्व है, जो विवाहिता के सुहाग की निशानियों और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं करवाचौथ पर सोलह श्रृंगार का महत्व और उनसे जुड़ी मान्यताओं के बारे में।

* सोलह श्रृंगार का महत्व – 

1. बिंदी – सुहागिन स्त्रियों के लिए कुमकुम की बिंदी का खास महत्व है। इसे लगाने से गुरु का बल बढ़ता है, जो पति के लिए शुभ होता है।

2. सिंदूर – मांग में सिंदूर भरना पति की लंबी आयु का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं सिंदूर से पूरी मांग भरती हैं।

3. काजल – काजल लगाने से मंगल दोष दूर होता है और यह सौंदर्य को भी बढ़ाता है।

4. मेहंदी – मेहंदी का रंग जितना गहरा चढ़ता है, पति का प्रेम उतना ही अधिक माना जाता है। इसे हाथों की सुंदरता के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

5. चूड़ियां – लाल और हरी चूड़ियां सुहाग का प्रतीक हैं और घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।

6. मंगलसूत्र – काले मोतियों वाला मंगलसूत्र बुरी नजर से दूर रखता है और सुहाग की निशानी के रूप में पहना जाता है।

7. नथ – नथ सोलह श्रृंगार में सौंदर्य का प्रतीक होती है और इससे बृहस्पति दोष दूर होता है।

8. गजरा – बालों में गजरा सजाने से सुंदरता बढ़ती है और इसकी सुगंध जीवन में सकारात्मकता लाती है।

9. मांग टीका – इसे माथे के बीचों-बीच पहना जाता है और यह सादगी से जीवन जीने का प्रतीक है।

10. झुमके – कानों में झुमके पहनने से राहु और केतु के दोष दूर होते हैं।

11. बाजूबंद – इसे पहनने से परिवार में धन-समृद्धि का वास होता है और यह रक्षक के रूप में पहना जाता है।

12. कमरबंद – कमरबंद साड़ी को संभालकर रखता है और यह प्रतीक है कि महिला घर की मालकिन है।

13. बिछिया – बिछिया पहनने से शनि और सूर्य दोष दूर होते हैं। यह सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है।

14. पायल – चांदी की पायल पहनने से सकारात्मकता और ऊर्जा बढ़ती है।

15. अंगूठी – विवाह सूत्र में बंधने की निशानी के रूप में अंगूठी पहनी जाती है।

16. स्नान – सोलह श्रृंगार का पहला चरण स्नान होता है। इस दिन उबटन, शिकाकाई, भृंगराज और आवंला का उपयोग नहाने के पानी में किया जाता है।

* करवाचौथ की पूजन विधि और तैयारियां – 

करवाचौथ के दिन महिलाएं एकत्रित होकर विधि-विधान से पूजा करती हैं और करवा माता से अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इसके बाद चंद्रमा के दर्शन कर व्रत का समापन करती हैं।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानें करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार का महत्व और उनकी विशेष परंपराओं के बारे में –

Know about the importance of sixteen adornments on karva chauth and their special traditions

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