जानिए गंगा सप्तमी के महत्व और पौराणिक कथा के बारे में – Know about the importance and mythology of ganga saptami

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जानिए गंगा सप्तमी के महत्व और पौराणिक कथा के बारे में - Know about the importance and mythology of ganga saptami

गंगा नदी को पवित्र और मोक्ष प्रदान करने वाली माना जाता है। मान्यता है कि गंगा स्नान से व्यक्ति के जीवनभर के पाप धुल जाते हैं। हर वर्ष वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस वर्ष वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 14 मई को है और इस दिन गंगा सप्तमी का त्योहार मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने गंगा नदी के प्रवाह के वेग को कम करने के लिए उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया था। गंगा सप्तमी के दिन लोग गंगा में स्नान कर पूजा व दान करते हैं। आइए जानते हैं गंगा सप्तमी से जुड़ी कथाएं।

* गंगा सप्तमी की कथा: 

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर ने युद्ध में मारे गए अपने पुत्रों को मोक्ष के लिए कठोर तपस्या कर गंगा को धरती पर अवतरित करवाया था। गंगा नदी का वेग इतना ज्यादा था कि उससे पूरी पृथ्वी का संतुलन बिगड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया था।

 

ऐसे में भगवान शिव ने गंगा नदी का अपने जटाओं में धारण कर लिया और नियंत्रित रूप से धरती पर अवतरित होने दिया। भगवान शिव ने गंगा नदी को वर्ष वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि अपनी जटाओं में धारण किया था। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई थीं।

* जाह्नवी पड़ा नाम:

एक अन्य कथा के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी का पुनर्जन्म हुआ था। महर्षि जह्नु तपस्या कर रहे थे लेकिन गंगा नदी के बहने की कल कल ध्वनि से उनका ध्यान भटक रहा था। इससे क्रोधित हो महर्षि जह्नु ने पूरी गंगा नदी को पी गए। बाद में देवी देवताओं की प्रार्थना करने पर गंगा नदी को अपने दाएं कान से बाहर कर दिया इसलिए गंगा नदी को जाह्नवी नाम मिला।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

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