हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष धार्मिक महत्व होता है, और इस दिन पूजा-पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा का पर्व आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है, साथ ही चंद्रमा की भी विशेष पूजा की जाती है। इस साल शरद पूर्णिमा कब है और पूजा के लिए कौन सा शुभ मुहूर्त है, आइए जानते हैं।
* शरद पूर्णिमा तिथि और समय:
इस वर्ष, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 16 अक्टूबर 2023 को रात 8 बजकर 40 मिनट पर होगा और इसका समापन 17 अक्टूबर 2023 को शाम 4 बजकर 55 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 5 बजकर 5 मिनट रहेगा, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
* शरद पूर्णिमा का महत्व और परंपराएं:
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपने पूर्ण सौंदर्य और 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत वर्षा की तरह मानी जाती हैं, जो धरती पर सकारात्मक ऊर्जा और आरोग्यता लाती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति निरोगी होता है।
* शरद पूर्णिमा की पूजा विधि:
शरद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। यदि किसी कारणवश गंगा स्नान संभव न हो, तो आप स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। पूजा में पीले रंग के वस्त्र पहनने और पीले रंग के फूलों का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की आरती के साथ विष्णु चालीसा का पाठ भी किया जाता है। पूजा के बाद फल, मिठाई और खीर का भोग चढ़ाया जाता है, और प्रसाद के रूप में इसे सभी में वितरित किया जाता है।
जानिए शरद पूर्णिमा 2024 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के महत्त्व के बारे में –
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