भगवान विष्णु ने समय-समय पर विभिन्न अवतार लेकर धरती पर आकर धर्म और अपने भक्तों की रक्षा की है। भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में प्रकट होकर अपने परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया था। नरसिंह जयंती के दिन भगवान विष्णु के इसी अवतार की पूजा होती है। हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करने से जीवन के दुखों का नाश हो जाता है।
* नरसिंह जयंती कब है:
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई को शाम 5 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 22 मई को शाम को 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। नरसिंह जयंती 21 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी। नरसिंह जयंती की पूजा संध्या के समय की जाती है। 21 मई को संध्या के समय नरसिंह भगवान की पूजा 21 मई की तिथि शुरू होने के बाद संध्या 7 बजकर 9 मिनट तक की जा सकती है।
* नरसिंह जयंती की पूजा-विधि:
नरसिंह जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प करें। भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के बाद पूजाघर की सफाई कर गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। एक चौकी पर भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का चित्र स्थापित करें और भगवान को फल, फूल, मिठाई, चंदन, केसर, कुमकुम अर्पित करें। घी का दीया जलाकर विष्णु सहत्रनाम का जाप करें और पीले रंग की मिठाई का भोग चढ़ाएं। इस दिन भोजन और वस्त्र दान को उत्तम माना गया है। किसी जरूरतमंद को जरूर भोजन और वस्त्र का दान करें।
* नरसिंह जयंती का महत्व:
नरसिंह जयंती बुराई पार अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। यह भक्तों के प्रति भगवान विष्णु के प्रेम को प्रकट करने वाला दिन है। इस दिन भगवान विष्णु का स्मरण करने और विधि विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु उसी तरह कृपा बरसाते हैं जैसे उन्होंने भक्त प्रहलाद पर बरसाई थी।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए नरसिंह जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि के बारे में –
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