जानिए जून माह में पड़ने वाले व्रत का शुभ समय और पूजा विधि के बारे में – Know about the auspicious time and method of worship for the fast falling in the month of june

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत विशेष महत्व होता है, कहते हैं एकादशी का व्रत करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं और सुख-शांति और समृद्धि का वास घर में होता है। ऐसे में मई का महीना खत्म होने के साथ ही जून का महीना शुरू होने वाला है और आप अगर जानना चाहते हैं कि जून के महीने में किस डेट को एकादशी पड़ेगी और कौन-कौन सी एकादशी मनाई जाएगी? तो हम आपको बता दें कि इस साल जून के महीने में दो बड़ी एकादशी तिथि पड़ने वाली है। जिसमें अपरा एकादशी से लेकर निर्जला एकादशी तक शामिल है, इनकी तिथि और शुभ मुहूर्त क्या रहेगा आइए हम आपको बताते हैं।

* शनि पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव में कमी: 

शनि देव को न्याय और कर्म का देव माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि शनि देव की पूजा से ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। शनि जयंती को शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन विधि-विधान से शनि देव की पूजा से उन्हें प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। इनकी कृपा से जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

* शनि जयंती पर शनि देव की पूजा: 

मान्यता है कि शनि देव का जन्म सर्वार्थ सिद्ध योग में हुआ था और इस वर्ष शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है। इसलिए शनि जयंती पर शनि देव की पूजा विशेष फलदाई होगी। शनि जयंती के दिन प्रात:काल स्नान के बाद शनि देव का स्मरण करें और विधि-विधान से शनि देव की पूजा करें। सुबह के समय पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और शाम को पेड़ के नीचे सरसों के तेल से दिया जलाएं। शाम के समय शनि मंदिर जाकर शनि देव का दर्शन करें और उन्हें सरसों का तेल अर्पित करें।

* निर्जला एकादशी 2024: 

निर्जला एकादशी का बहुत खास महत्व होता है, इस दिन निर्जला व्रत किया जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है, जिसकी तिथि इस बार 17 जून सुबह 4:43 से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 18 जून को सुबह 6:24 पर किया जाएगा, ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को पड़ेगा।

* एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप: 

एकादशी पर विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करने के साथ ही उन्हें पीले रंग के फल और पुष्प अर्पित किए जाने चाहिए। इस दौरान विष्णु भगवान के पांच रूपमंत्रों का जाप करने से साधकों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख समृद्धि मिलती है. यह मंत्र कुछ इस प्रकार है-

ॐ अं वासुदेवाय नम:।।

ॐ आं संकर्षणाय नम:।।

ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।

ॐ नारायणाय नम:।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए जून माह में पड़ने वाले व्रत का शुभ समय और पूजा विधि के बारे में –

Know about the auspicious time and method of worship for the fast falling in the month of june

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