निहंग सिखों ने कैसे की मंदिर में श्रीराम की पूजा, ये है 165 साल पुरानी कहानी – How nihang sikhs worshiped shri ram in the temple, this is a 165 year old story

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निहंग सिखों ने कैसे की मंदिर में श्रीराम की पूजा, ये है 165 साल पुरानी कहानी - How nihang sikhs worshiped shri ram in the temple, this is a 165 year old story

उत्तर प्रदेश में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों शोरों पर हैं। इस बीच राम मंदिर की कड़ी निहंग सिखों से जुड़ी नजर आती है। अयोध्या से जुड़ी इस 165 साल पुरानी कहानी से पता चलता है कि सिर्फ हिंदु ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोग भी श्रीराम की प्रतिष्ठा पर आंच ना आने के लिए चिंता किया करते थे। जानकार बताते हैं कि सिखों के इतिहास को खगालने पर पता चलता है कि अयोध्या में सबसे पहले बाबरी मस्जिद में विद्रोहियों के घुसने की जो घटना घटी थी वो हिंदुओं के द्वारा नहीं घटी थी बल्कि सिखों ने की थीं। श्रीराम जन्म स्थान के करीब ही अयोध्या में एक गुरुद्वारा है जिसका नाम है गुरुद्वारा ब्रह्म कुंड। इसी गुरुद्वारे में सिखों के गुरु, गुरु गोबिंद सिंह भी आकर ठहरे थे। यह घटना आज से 165 साल पहले की है। इतिहास के उस काल में निहंग सिखों ने बाबरी मस्जिद में घुसकर जगह-जगह पर श्रीराम का नाम लिखा था और यह साबित करने की कोशिश की थी कि यह श्रीराम के जन्म का स्थान है। इसके बारे में ना सिर्फ सिख ग्रंथों में जिक्र है बल्कि इतिहासकार भी इस बारे में जानकारी देते हैं।

गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के ज्ञानी गुरजीत सिंह खालसा के अनुसार, जब गुरुनानक देव जी यहां आए तो अयोध्या का भ्रमण गए और सबसे पहले राम मंदिर जाकर दर्शन किए। सवा महीने गुरु जी यहां रहे। उस दरमियान श्रीराम जन्मभूमि मुगलों के कब्जे में रहा और वहां से उन्होंने निहंग सिखों को पत्र लिखा और उन्होंने आकर युद्ध किया। युद्ध करने के बाद 14 दिनों तक उन्होंने श्रीराम जन्मभूमिन अपने कब्जे में रखी और बताया जाता है कि उसके बाद फिर मुगलों ने कब्जा कर लिया।

इतिहासरकार रवि भट्ट के अनुसार, एक सिख निहंत थे बाबा फकीर सिंह जी जो अपने साथियों के साथ राम मंदिर चले आते हैं और दीवारों पर राम-राम लिख देते हैं। इसके अलावा, एक प्लेटफॉर्म बना देते हैं जिसके ऊपर भगवान राम की मूर्ति वहां रख दी जाती है। इस बात की पुष्टि होती है 28 नवंबर 1958 में जब वहां के थानेदार ने एफआईआर लिखी थी।

इस तरह सिखों ने आज से 150-200 साल पहले विद्रोह कर दिया था ताकि राम मंदिर बन सके। कहा जा सकता है कि उस समय यह आंदोलन ना हुआ होता तो राम मंदिर ना बन रहा होता। राम जन्भूमि पर उस समय बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा था जिसे साल 1992 में तोड़ा गया था। 22 जनवरी के दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इस मौके के लिए राम मंदिर परिसर के साथ ही पूरे शहर को सजाया जा रहा है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

निहंग सिखों ने कैसे की मंदिर में श्रीराम की पूजा, ये है 165 साल पुरानी कहानी –

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