विट्ठल मंदिर का इतिहास – History of vitthal temple

विठ्ठल मंदिर, जिसे विट्ठलस्वामी मंदिर भी कहा जाता है, कर्नाटक के हम्पी में स्थित है और यह 16वीं शताब्दी का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य के दौरान बनाया गया था और इसे हम्पी के सबसे शानदार और विस्तृत मंदिरों में से एक माना जाता है।

 

विठ्ठल मंदिर का निर्माण राजा देवराय द्वितीय (1422–1446) के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था, और इसे कई वर्षों में पूरा किया गया। यह मंदिर भगवान विट्ठल (विठोबा) को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है। मंदिर परिसर में कई मंडप, गोपुरम, और अन्य संरचनाएँ शामिल हैं, जो दक्षिण भारतीय द्रविड़ वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण हैं।

मंदिर का मुख्य आकर्षण इसके सामने स्थित विशाल पत्थर का रथ है, जो भगवान विठ्ठल का वाहन है। यह रथ एक ही पत्थर से तराशा गया है और इसे कला का एक अद्भुत नमूना माना जाता है। मंदिर का मुख्य मंडप जिसे “महामंडप” कहा जाता है, विस्तृत नक्काशी और भव्य स्तंभों से सज्जित है। इन स्तंभों पर देवी-देवताओं, नर्तकियों, संगीतकारों और पौराणिक कथाओं के दृश्यों की नक्काशी की गई है। मंदिर परिसर में स्थित संगीत मंडप भी बहुत प्रसिद्ध है, जहां पत्थरों के स्तंभों को थपथपाने पर संगीत उत्पन्न होता है। इसे ‘सप्तरंगी स्तंभ’ भी कहा जाता है।

विठ्ठल मंदिर हम्पी की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य की वास्तुकला और शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है। 1986 में, यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी।

विठ्ठल मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हर साल हजारों पर्यटक और भक्त इस मंदिर को देखने आते हैं, जिससे हम्पी का यह मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।

विठ्ठल मंदिर का इतिहास और वास्तुकला न केवल विजयनगर साम्राज्य की समृद्धि और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 

विट्ठल मंदिर का इतिहास – History of vitthal temple

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