पटना का इतिहास हमेशा से ही गौरवशाली रहा है। इस धरती पर अनेकों महापुरुषों ने जन्म लेकर पटना की धरती को गौरान्वित करने का कार्य किया है। यह भूमि चाणक्य और आर्यभट्ट की रही है। यह स्थल ऋषियों मुनियों की जन्म भूमि और कर्मभूमि रही है। जिन्होंने इस स्थल पर अवतरित होकर समाज को सन्मार्ग पर चलना सिखाया। उन्ही महापुरुषों में गुरु गोबिन्द सिंह जी का नाम आता है।
तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के नाम से भी जाना जाता है। पटना साहिब सिखों के लिए अति पावन एतिहासिक धर्म-स्थल में से एक है। सिक्ख समुदाय के कुल पाँच प्रमुख तख्त हैं। इन तख्तों में गुरुद्वारा पटना साहिब की गिनती सिक्खों के दूसरे सबसे पवित्र तख्त के रूप में की जाती है। जैसा की हम जानते हैं की यह गुरुद्वारा सिक्खों के दसवें और अंतिम गुरु गुरुगोविंद सिंह जी को समर्पित है। इस गुरुद्वारा में गुरु गोविंद सिंह से जुड़ी हुई अनेक वस्तुएं रखी गयी है। यह वस्तुएं सिक्ख समुदाय और पर्यटक के आकर्षण का केंद्र बिंदु है।
यह स्थान पटना जंक्शन से करीब 4 की मी की दूरी पर पटना सिटी इलाके में स्थित है। उन्हीं के नाम पर पटना सिटी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पटना साहिब रख दिया गया है। यही पर सिक्खों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ था। उनका जन्म 26 दिसम्बर 1666 ईस्वी में शनिवार के दिन हुआ था। उनके बचपन का नाम गोबिन्द राय था।
इस स्थल पर न केबल गुरुजी का जन्म हुआ था बल्कि उनका बचपन भी यहीं बीता था। इस गुरुद्वारे में गुरुजी के बचपन का पालना, तलवार, तीर कमान, बघनख खंजर आदि संरक्षित हैं। इसके अलाबा नवम गुरु तेग बहादुर जी महाराज के खड़ाऊँ भी पटना हरमंदिर साहिब में रखी हुई है। प्रतिवर्ष लाखों की संखया में सिक्ख समुदाय के लोग व पर्यटक इस एतिहासिक गुरुद्वारा का दर्शन करने पटना आते हैं। हालांकि गुरु गोबिन्द सिंह जी के बचपन इस स्थान पर बीता है। लेकिन इस स्थल का इतिहास गुरु गोबिन्द सिंह जी के साथ अन्य गुरुओं से भी सम्बद्ध रहा है।
कहते हैं की इस स्थल का इतिहास गुरु नानक देव जी और गुर तेग बहादुर सिंह जी की यात्रा से जुड़ा हुआ है। कहते हैं की गुर तेग बहादुर सिंह यहाँ असम और बंगाल की यात्रा के दौरान रुके थे। कहते हैं की यह एरिया कभी कुचा फरुख खान के नाम से प्रसिद्ध था। लेकिन वर्तमान में यह हरमंदिर मुहल्ला के नाम से जाना जाता है।
जब गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पटना में हुआ था उस बक्त उनके पिता गुर तेग बहादुर सिंह जी महाराज असम की यात्रा पर थे। जिसका वर्णन सिक्खों के पवित्र ग्रंथ में भी उल्लेखित है। महाराजा रंजीत सिंह ने अखंड भारत के कई शहरों में एतिहासिक गुरुद्वारे का निर्माण कराया है। इस गुरुद्वारे का निर्माण भी महाराजा रंजीत सिंह ने गुरु गोबिन्द सिंह जी की यादगार में कराया था। इस गुरुद्वारा के निर्माण उन्होंने सन 1837 से 1839 के बीच कराया था। यह स्थान गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मभूमि होने के कारण सिख समुदाय के लिए अति पावन है।
गुरुद्वारा श्री हरिमंदर जी पटना साहिब अपने अनुपम स्थापत्य कला के कारण पर्यटक का ध्यान आकर्षित करता है। गुंबदशैली में बना यह गुरुद्वारा सिक्ख स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण पेश करता है। इसके अलावा पटना में ही एक और प्रसिद्ध गुरुद्वारा स्थित है जो गुरुद्वारा हांडी साहिब के नाम से जाना जाता है। कहते हैं की यह स्थल गुरु तेग बहादुर जी महाराज से जुड़ी हुई हैं। इस स्थल पर गुरुजी को हांडी में पकाया हुआ खिचड़ी परोसा गया था।