धर्मराजिका स्तूप एक प्राचीन बौद्ध स्मारक है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म के प्रारंभिक विकास और सम्राट अशोक के समय से जुड़ा हुआ है। यह स्तूप, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित तक्षशिला में स्थित है, जो एक प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध केंद्र था। इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था, जो बौद्ध धर्म के महान संरक्षक माने जाते हैं।

धर्मराजिका स्तूप का निर्माण बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित करने और उनका सम्मान करने के लिए किया गया था। “धर्मराजिका” शब्द का अर्थ होता है “धर्म के राजा”, जो बुद्ध को संदर्भित करता है। स्तूप में बुद्ध के पवित्र अवशेष (रिलिक्स) रखे गए थे, जिन्हें श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक पूजनीय माना जाता था।

यह स्तूप तक्षशिला में बौद्ध धर्म के प्रभाव का प्रतीक था और इसे बौद्ध आर्किटेक्चर का एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है। स्तूप का आकार गोल था, जिसमें एक गुंबदाकार संरचना थी। स्तूप के चारों ओर एक घेराबंदी (रैलिंग) और एक पथ बनाया गया था, जहां श्रद्धालु परिक्रमा कर सकते थे।

समय के साथ, यह स्तूप क्षतिग्रस्त हो गया और कई आक्रमणों और प्राकृतिक कारणों से इसका विनाश हुआ। हालांकि, 19वीं और 20वीं शताब्दी में पुरातात्विक खोजों के दौरान इसे पुनः खोजा गया।

धर्मराजिका स्तूप की खुदाई से कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं, जिनमें बुद्ध की मूर्तियां, शिलालेख, और अन्य धार्मिक वस्तुएं शामिल हैं।

यह स्तूप बौद्ध धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल रहा है, और इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता आज भी बनी हुई है। धर्मराजिका स्तूप विश्व धरोहर स्थलों में से एक है और तक्षशिला के बौद्ध केंद्र के इतिहास को दर्शाता है।

 

धर्मराजिका स्तूप का इतिहास – History of dharmarajika stupa

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