पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर दीवाली मनाई जाती है। दीपावली दीपों का त्योहार है और दीवाली के दिन सभी दीप जलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीराम रावण का वध करने के पश्चात जब अयोध्या लौटे थे तो सभी ने खुशी में घी के दीये जलाए थे। इसीलिए दशहरा के 20 दिनों बाद दिवाली मनाई जाती है। दिवाली के अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन सभी दीया जलाते हैं और घर को दीयों से सजाते हैं। परंतु, दीया जलाने से जुड़े भी बहुत से नियम हैं जिनका ध्यान रखा जाता है। दीया जलाने की सही दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसा ना किया जाए तो मां लक्ष्मी रूठ सकती हैं।
* दीया जलाने के नियम:
– मान्यतानुसार दिवाली पर दक्षिण दिशा में दीप जलाना शुभ नहीं माना जाता है। इस दिशा को यमराज की दिशा मानते हैं और कहते हैं इस दिशा में दीप नहीं जलाना चाहिए।
– दीया जलाने की सबसे अच्छी दिशा उत्तर पूर्व दिशा या ईशान कोण मानी जाती है। ईशान कोण की तरफ दीये का मुख करके भी रखा जा सकता है।
– दिवाली के दिन सर्वप्रथम घर के मंदिर में मां लक्ष्मी के समक्ष दीया जलाना शुभ होता है। ऐसा ना करने पर मां लक्ष्मी रूठ सकती हैं।
– तुलसी के पौधे के पास दीया रखना भी शुभ होता है। ऐसा करने पर घर में सुख और खुशहाली आती है और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
– रसोई के अंदर दीपक रखना चाहिए। ऐसा करने पर मां अन्नापूर्णा का आशीर्वाद मिलता है। यहां दक्षिण-पूर्वी कोने पर भी दीपक रख सकते हैं।
– दीपावली पर लोग मोमबत्ती और बिजली वाले दीये घर में लगा देते हैं। लेकिन, दीये तेल वाले ही जलाने चाहिए। तेल या घी से जले दीये शुभ होते हैं।
– दीये की गोल बाती की जगह लंबी बाती लगाएं। इसे शुभ माना जाता है।
– महालक्ष्मी-कुबेर को प्रसन्न करने के लिए घर की तिजोरी या पैसे रखने की जगह पर दीया जलाया जा सकता है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
दिवाली पर इस दिशा में दीया जलाने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
Goddess lakshmi gets angry by lighting a lamp in this direction on diwali