इस साल 20 नवंबर को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी। इस दिन महिलाएं सुबह से लेकर चांद निकलने तक निर्जला व्रत करती हैं। करवा माता की पूजा और विशेष कथा सुनने का महत्व होता है। करवा चौथ से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें दो मुख्य कथाओं का महत्व खास माना जाता है।
* करवा चौथ की पहली कथा –
पौराणिक कथा के अनुसार, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी किनारे रहती थीं। एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने गए, तभी एक मगरमच्छ ने उन्हें खींच लिया। पति की चीख सुनकर करवा तुरंत नदी किनारे पहुंचीं और एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को पेड़ से बांध दिया। इसके बाद उन्होंने यमराज का आह्वान कर अपने पति की रक्षा करने की प्रार्थना की और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने की मांग की।
यमराज ने करवा को यह कहकर मना कर दिया कि मगरमच्छ की मृत्यु का समय अभी नहीं आया है। करवा का पतिव्रता धर्म देख यमराज प्रसन्न हो गए, और उन्होंने उनके पति को जीवनदान दिया तथा मगरमच्छ को मृत्यु प्रदान की। मान्यता है कि यह घटना कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हुई थी। तभी से इस दिन महिलाएं करवा माता, शिव-पार्वती और गणेश जी की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
* करवा चौथ की दूसरी कथा –
इन्द्रप्रस्थपुर नामक नगर में एक साहूकार अपनी पत्नी लीलावती, सात पुत्र-बहुओं और पुत्री वीरावती के साथ रहता था। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी, सातों बहुएं और बेटी वीरावती ने करवा चौथ का व्रत रखा। रात को भाइयों ने अपनी बहन को भूखा देख, उसके लिए चांद निकलने की झूठी घटना रचाई। वीरावती ने चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इसके बाद उसे लगातार अशुभ संकेत मिलने लगे, और जब वह अपने ससुराल पहुंची तो पति को मृत पाया। वीरावती के दुख में देवी इंद्राणी ने उसे हर माह चौथ का व्रत रखने का सुझाव दिया। वीरावती ने यह व्रत पूरी श्रद्धा से किया और अंततः उसके पति को पुनर्जीवन मिला। इस कथा के अनुसार, तभी से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
करवा चौथ पर जरूर सुनें ये कथा, मिलेगा सौभाग्यवती का आशीर्वाद –
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