डिठ्ठे सभे थाव नहीं तुध जेहेआ
बद्धोहु पुरख बिधाते ता तू सोहेआ
वसदी सघन अपार अनूप रामदास पुर
हरिहाँ नानक कसमल जाहि न्हाईअै रामदास सर
डिठ्ठे सभे थाव नहीं तुध जेहेआ – Dithe sabhe thav nhi tudh jehia