जिस घर में लड्डू गोपाल विराजमान होते हैं, उनकी सेवा बिल्कुल एक बच्चे की तरह की जाती है। सुबह, दोपहर, शाम उन्हें भोग अर्पित करना चाहिए और भोग लगाने के दौरान कुछ विशेष नियम का पालन करना चाहिए। कहते हैं कि जब लड्डू गोपाल को भोग लगाया जाए तो इस मंत्र का उच्चारण जरूर करना चाहिए, क्योंकि इस मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि यह भोग सीधे लड्डू गोपाल के पास पहुंचता है और वह उसे प्रसन्न होकर ग्रहण भी करते हैं। तो आप भी इस मंत्र को नोट कर लें और आगे से लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें।

* लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय करें इस मंत्र का उच्चारण: 

लड्डू गोपाल की सेवा करना सबसे पुण्य का काम माना जाता है, उन्हें एक बच्चे की तरह सुबह स्नान कराया जाता है, उन्हें अच्छे-अच्छे वस्त्र पहनाए जाते हैं, श्रृंगार किया जाता है, भोग लगाया जाता है और रात को दूध पिलाकर शयन करवाया जाता है।

कहते हैं ऐसा करने से लड्डू गोपाल की कृपा घर पर हमेशा बनी रहती है, लेकिन अधिकतर लोग लड्डू गोपाल के सामने ऐसे ही जाकर भोग रख देते हैं, जबकि लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय आपको इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए- त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाणे सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।

इस मंत्र का अर्थ होता है कि हे कृष्ण मेरे पास जो भी है वह सब आपका ही दिया है भगवान और अब मैं उसी को भोग के स्वरूप में आपको अर्पित कर रहा हूं, कृपया इसे ग्रहण करें।

* इतने बार लगाएं लड्डू गोपाल को भोग: 

लड्डू गोपाल को सबसे पहले भोग सुबह उठते से ही लगाना चाहिए। सुबह 6-7 बजे के करीब घंटी बजाकर या ताली बजाकर आप लड्डू गोपाल को जगाएं, उन्हें दूध पिलाएं या आप चाय भी उन्हें भोग में लगा सकते हैं। उसके बाद लड्डू गोपाल को नहलाने के बाद अच्छे-अच्छे वस्त्र पहनाएं, फिर आप उन्हें माखन मिश्री, लड्डू या अन्य चीज का भोग लगा सकते हैं। तीसरा भोग भोजन का होता है, आप सात्विक भोग लड्डू गोपाल को खिलाएं। आप पूरी, पराठा, सब्जी, सलाद आदि चीजों को भोग स्वरूप लगा सकते हैं। चौथा भोग शाम के समय लगाया जाता है, जिसमें आप मखाने या मेवा लड्डू गोपाल को खिला सकते हैं और रात के समय लड्डू गोपाल को दूध पिलाकर ही शयन करवाना चाहिए।

 

लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय इस मंत्र का करें जाप, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद –

Chant this mantra while offering laddu gopal, you will get blessings of happiness and prosperity

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