हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है, और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत और पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ पितरों की पूजा भी की जाती है। पितृ पक्ष के दौरान आने वाली इस एकादशी पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। आइए जानें, इस साल इंदिरा एकादशी कब है और इसे मनाने की विधि क्या है।
* इंदिरा एकादशी तिथि और पूजा विधि:
पंचांग के अनुसार, इस साल इंदिरा एकादशी 28 सितंबर 2023, शनिवार को मनाई जाएगी। यह दिन पितरों को प्रसन्न करने और भगवान विष्णु की कृपा पाने का अनोखा अवसर है। इस दिन व्रत करने और सही पूजा विधि अपनाने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है और घर-परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।
* पितरों की पूजा का महत्व:
इंदिरा एकादशी पर पितरों की पूजा करने के लिए दक्षिण दिशा में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। इसके अलावा, काले कपड़े में एक मुट्ठी काले तिल और दाल बांधकर घर की दक्षिण दिशा में रखने की परंपरा है। द्वादशी तिथि के दिन इस तिल और दाल को गाय को खिलाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
* पीपल के पेड़ का महत्व:
इंदिरा एकादशी पर पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष धार्मिक महत्व है। पीपल के पेड़ पर त्रिदेव—भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाकर 11 बार परिक्रमा करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
* विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ:
इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
इंदिरा एकादशी पर इस तरह पूजा करने से मिल सकता है पितरों का आशीर्वाद –
By worshipping in this way on indira ekadashi, you can get the blessings of your ancestors