हिन्दू धर्म में संकष्टी चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है।यह हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। आपको बता दें कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि गणेश स्तोत्र का पाठ करने से सुख समृद्धि आती है। ऐसे में इस माह में कब संकष्टी चतुर्थी है, इसका महत्व और पूजा विधि क्या है आइए जानते हैं।

* कब है संकष्टी चतुर्थी: 

वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 सितंबर रात 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 21 सितंबर को शाम 6 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। इस तिथि पर चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त 8 बजकर 29 मिनट पर है। उदयातिथि पड़ने के कारण संकष्टी चतुर्थी 21 को मनाई जाएगी।

* विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि: 

– संकष्टी चतुर्थी को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

– फिर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को अच्छे से साफ करके गंगाजल का छिड़क दीजिए।

– फिर गणपति जी की प्रतिमा स्थापित करें।

– अब विधि-विधान के साथ पूजा करें गणपति की।

– पूजा के समय आप ओम गणपतये नमः मंत्र का जाप करें।

– साथ ही गणपति को मोदक का भोग लगाएं। ऐसे करके आप संकष्टी चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं।

* विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा महत्व: 

इस व्रत को करने से घर में सुख शांति आती है और विघ्नराज सारे दुख हर लेते हैं। इससे धन धान्य आता है घर में।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए इस माह में कब संकष्टी चतुर्थी है, इसका महत्व और पूजा विधि के बारे में –

Know when is sankashti chaturthi in this month, its importance and worship method

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