पंचांग के अनुसार, इस साल 17 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरूआत हो चुकी है। इसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध प्रतिपदा तिथि के अनुसार 18 सितंबर के दिन किया गया था जिसके अनुसार आज 19 सितंबर, गुरुवार के दिन पितृ पक्ष का दूसरा श्राद्ध  किया जा रहा है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा करना, तर्पण और पिंडदान करने का अत्यधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने की भी कोशिश की जाती है ताकि घर-परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। श्राद्ध की विभिन्न तिथियां भी अत्यधिक महत्व रखती हैं। जिस दिन पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उस तिथि पर ही उनका श्राद्ध किया जाता है। तिथि के अनुसार, श्राद्ध किया जाए तो श्राद्ध कर्म को पूरा माना जाता है। ऐसे में यहां जानिए श्राद्ध तिथियों का महत्व।

* श्राद्ध तिथियों का महत्व: 

प्रतिपदा तिथि – किसी भी महीने की प्रतिपदा तिथि पर जिन लोगों का स्वर्गवास होता है उनका श्राद्ध इस तिथि पर ही किया जाता है। इस दिन श्राद्ध करने वालों को अच्छी बुद्धी और ऐश्वर्य का वरदान मिलता है।

द्वितीया तिथि – श्राद्ध की द्वितीया तिथि का श्राद्ध आज 19 सितंबर के दिन किया जा रहा है। जिन लोगों का स्वर्गवास किसी भी माह के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर होता है उनका श्राद्ध इस दिन होता है। इसे प्रोष्ठपर्दी श्राद्ध भी कहते हैं। इस दिन श्राद्ध करने वाले को सुख-समृद्धि मिलती है।

तृतीया तिथि – 20 सितंबर के दिन श्राद्ध की तृतीया तिथि है। इस दिन श्राद्ध करने पर शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।

चतुर्थी तिथि – इस साल श्राद्ध की चतुर्थी तिथि 21 सितंबर के दिन है। इस दिन श्राद्ध करने पर व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि आती है।

पंचमी तिथि – श्राद्ध की पंचमी तिथि 22 सितंबर के दिन है। इस तिथि पर श्राद्ध करने से मान्यतानुसार घर में लक्ष्मी आती है। इसके अलावा, इस दिन अविवाहित लोगों का श्राद्ध किया जाता है।

षष्ठी तिथि – 23 सितंबर के दिन श्राद्ध की षष्ठी तिथि है। इस तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष में हुई हो। षष्ठी तिथि पर श्राद्ध करने से सम्मान की प्राप्ति होती है।

सप्तमी तिथि – सप्तमी तिथि का श्राद्ध भी 23 सितंबर के दिन ही किया जाएगा। इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को महान यज्ञ करने जितना फल मिलता है।

अष्टमी तिथि – इस साल 24 सितंबर के दिन अष्टमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। अष्टमी तिथि पर श्राद्ध करने से व्यक्ति को संपूर्ण धन-लाभ होता है।

नवमी तिथि – 25 सितंबर के दिन नवमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन उन महिलाओं का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु उनके पति से पहले होती है। नवमी तिथि पर श्राद्ध करने से दांपत्य सुख मिलता है।

दशमी तिथि – दशमी तिथि पर श्राद्ध करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस साल 26 सितंबर के दिन श्राद्ध की दशमी तिथि पड़ रही है।

एकादशी तिथि – 27 सितंबर के दिन एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। किसी भी महीने की एकादशी तिथि पर जिन लोगों का स्वर्गवास होता है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। इस दिन का श्राद्ध सबसे ज्यादा पुण्य देने वाला माना जाता है। एकादशी तिथि पर श्राद्ध करने पर निरंतर ऐश्वर्य आता है।

द्वादशी तिथि – जिन लोगों की मृत्यु किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर होती है उनका श्राद्ध द्वादशी तिथि पर किया जाता है। जो लोग स्वर्गवास से पहले सन्यास ले लेते हैं उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है। इस साल 29 सितंबर के दिन श्राद्ध की द्वादशी तिथि पड़ रही है। इस दिन के श्राद्ध से श्राद्ध करने वाले के जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होती है।

त्रयोदशी तिथि – माना जाता है कि त्रयोदशी तिथि के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनका स्वर्गवास किसी भी माह में त्रयोदशी पर हुआ हो। नवजात शिशुओं का स्वर्गवास भी इसी दिन होता है। इस साल 30 सितंबर के दिन त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। त्रयोदशी तिथि पर श्राद्ध करने से दीर्घायु और ऐश्वर्य का वरदान मिलता है।

चतुर्दशी तिथि – 1 अक्टूबर के दिन चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन उन लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। इस दिन श्राद्ध करने पर माना जाता है कि व्यक्ति को अज्ञात भय का खतरा नहीं रहता है।

अमावस्या का श्राद्ध – अमावस्या के साथ ही पितृ पक्ष का अंत हो जाता है। किसी भी महीने की अमावस्या तिथि पर जिनका स्वर्गवास होता है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। इसके अलावा नाना का श्राद्ध भी इसी दिन होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

आज है पितृ पक्ष का दूसरा श्राद्ध, जानें हर तिथि के श्राद्ध का विशेष महत्व –

Today is the second shradh of pitru paksha, know the special importance of shradh of every date

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