हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का काफी महत्व है। मान्यता है कि इस समय पितृ लोक के दरवाजे खुल जाते हैं और पितर यानी पूर्वज अपने परिजनों के घर आकर अन्न-जल की इच्छा करते हैं। उन्हें तृप्त करने के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किए जाते हैं। इस बार 2 अक्टूबर तक पितरों का श्राद्ध किया जाएगा। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से तीन पीढ़ियों के पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है, पितरों की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-शांति रहती है। अगर आप भी पितरों का पिंडदान कर रहे हैं और उन्हें प्रसन्न करना चाहते हैं, तो उनका तर्पण करते समय कुछ मंत्रों का जाप करें। इससे पितर खुश होंगे और उनकी कृपा मिलेगी।

* पितरों को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप:

1। ॐ पितृ देवतायै नम:

2। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

3। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

4। ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तुतु जलान्जलिम

5। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात

* पितृ गायत्री मंत्र का करें जाप:

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

ॐ आद्य भूताय विद्महे सर्व सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति स्वरूपेण पितृ देव प्रचोदयात्।।

* इन मंत्रों का भी करें जाप:

1। गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम लें) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम, गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

2। गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम लें) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम, गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

3। गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा का नाम लें) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम, गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः

4। गोत्रे अस्मत्पितामह (दादी का नाम लें) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम, गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः

5। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।।।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

* पितृ स्तोत्र पढ़ने से प्रसन्न होंगे पितर:

अर्चितानाम मूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्, नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा। सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।

मन्वादीनां च नेतार : सूर्याचन्दमसोस्तथा, तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्न भसस्तथा, द्यावा पृथिवोव्योश्च एवं नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्। अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च। योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु। स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा। नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्। अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय। जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:। नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

पितृ पक्ष में इन मंत्रों का करें जाप, पूर्वजों का मिलेगा आशीर्वाद और घर में रहेगी सुख-समृद्धि –

Chant these mantras during pitru paksha, you will get blessings of your ancestors and peace and happiness will prevail in your house

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