भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव शुरू हो जाता है। भक्त इस दिन अपने घर में विधि-विधान से बप्पा को स्थापित करते हैं और पूरे दस दिन तक गणेश जी की पूजा अर्चना में लगाते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के लिए अनंत चतुर्दशी का दिन सबसे शुभ माना जाता है। गणपति को विदा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। भगवान पर चढ़ाए गए दूर्वा, नारियल के विशेष उपाय से घर में सुख और समृद्धि आती है।

* कब है अनंत चतुर्दशी: 

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर शुरू होकर 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट समाप्त होगी। वहीं, अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर मंगलवार को मनाई जाएगी।

* दूर्वा, नारियल से जुड़े विशेष उपाय: 

गणपति स्थापना के दौरान स्थापित कलश के पानी को पूरे घर में छिड़कें और शेष जल नीम, पीपल या बरगद के पेड़ की जड़ में डाल दें। जल को घर में लगे गमलों में भी डाल सकते हैं। चढ़ाए गए दूर्वा को गणेश जी के साथ विसर्जित कर दें। कुछ दूर्वा बचाकर घर की तिजोरी में रखें, इससे आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। कलश पर स्थापित नारियल को विसर्जन के दौरान प्रसाद के रूप में बांट दें। चढ़ाए गए सुपारी में से पांच सुपारी को अपने तिजोरी में रखें और शेष को विसर्जित कर दें।

* गणेश विसर्जन के नियम: 

गणपति विसर्जन के लिए प्रतिमा को ले जाते समय भगवान का मुख घर की ओर रखें। मान्यता है कि घर की तरफ पीठ रखने से गणेश जी रूष्ट हो जाते हैं। विसर्जन से पहले बप्पा से सुख-समृद्धि में वृद्धि की प्रार्थना करें और जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। विसर्जन से पहले आरती के और प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। गणपति बप्पा को शुभ मुहूर्त में विदा करना चाहिए। पृजा के दौरान अर्पित की गई चीजों को प्रभु के संग ही विसर्जित कर देनी चाहिए और अगले वर्ष उन्हें फिर आने की प्रार्थना करनी चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए दूर्वा, नारियल से जुड़े विशेष उपाय और गणेश विसर्जन के नियम के बारे में –

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